कुछ ही हिस्सों में ही सही मीडिया ने ये जरूर बताया कि मार्च, अप्रैल और मई के महीने में मरने वालों की सरकारी संख्या से अलग श्मशान और कब्रिस्तान के रिकॉर्ड कुछ और कहते हैं. इन तमाम रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं हुई बस छप कर गुजर जाने दिया. मरने वालों क सरकारी संख्या में एक बार भी संशोधन नहीं किया गया. आधिकारिक तौर पर भारत के नागरिकों को पता ही नहीं की कोविड की दूसरी लहर में कितने लोग मरे हैं...