ऐसी लड़ाई 2012-13 के साल में हुई थी. बीजेपी में. जब आडवाणी जी मार्गदर्शक बनाए गए थे और मोदी जी बने थे प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार. उसके बाद से बीजेपी में ऐसी लड़ाई फिर से नहीं देखी गई. कांग्रेस में ऐसी लड़ाई होती रहती है. कांग्रेस से कई कांग्रेस बनती रहती हैं. फिर इस कांग्रेस से मिलकर ये कांग्रेस चुनाव भी लड़ती हैं. तृणमूल कांग्रेस जैसे. नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के साथ चुनाव लड़ चुकी है. इस कांग्रेस में भी कांग्रेसी लोग आ जाते हैं. जैसे तमिल मनीला कांग्रेस से पी. चिदंबरम. राजस्थान में ऐसी लड़ाई नहीं हुई थी. बीजेपी में वसुंधरा के खिलाफ बहुत गोलंबदी हुई. छोटी-मोटी. मगर चुनाव हारने तक कोई आवाज़ नहीं उठा सका. राजस्थान कांग्रेस में गहलोत की भी वही स्थिति थी. कुछ दावेदार हुए मगर गहलोत को कोई हिला न सका. सचिन पायलट ने चुनौती दी, मगर पार्टी से बाहर कर दिए गए. हालांकि सचिन पायलट बाहर किए जाने से पहले ही बाहर हो गए थे.