अर्थव्यवस्था को लेकर बीते कई वर्षों से एक बहस चिढ़ी हुई है. एक तबका है, जिसकी मानें तो इकॉनमी की हालत खस्ता है और इसके तमाम साक्ष्य उन्होंने समय-समय पर प्रस्तुत किये हैं. वहीं सरकार और उसके बीच बचाव में आते लोग कहते हैं कि अर्थव्यवस्था को कभी भी एक सूक्ष्म नज़रिए से नहीं देखना चाहिए. दूर दृष्टि बनाये रखना चाहिए. ये एक लम्बी लड़ाई और सफलता की योजना है. आज फिर कुछ आंकड़े आए हैं. गाड़ी उत्पादकों ने बताया है कि नई गाड़ियों की बिक्री में 20 प्रतिशत से ज़्यादा गिरावट आई है. वहीं एसोचैम का कहना है कि देश की इंडस्ट्रीज को एक राहत पैकेज की ज़रूरत है. रोज़गार बढ़ना तो छोड़िये , चर्चा में ये है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में कितनी नौकरी गई? तो आज ख़बरों की खबर में हमारे तीन सवाल हैं ये- 1. सच क्या है? 2. क्या हमारी अर्थव्यवस्था का ढांचा मज़बूत है और ये मौजूदा चलन बदलेगा? 3. क्या वाकई मंदी आ रही है या आ गई है?