रेलवे पर सीएजी की एक रिपोर्ट आई है, जिसे संसद में पेश किया गया है. रिपोर्ट के अनुसार 2017-18 में रेलवे की कमाई दस साल में सबसे खराब स्तर पर चली गई, 100 रुपये कमाने के लिए रेलवे ने 98.44 रुपये लगाए. 2014-15 में 100 रुपये कमाने के लिए 91.3 रुपये लगाने पड़े थे. इसे आपरेटिंग रेश्यो कहते हैं. 2014-15 में 9 रुपये की कमाई थी जो घट कर 2 रुपये हो गई है. अगर रेलवे को एन टी पी सी और इरकॉन से एडवांस न मिला होता तो रेलवे के पास 5676 करोड़ का निगेटिव बैलेंस होता. यही नहीं पूंजीगत खर्च के लिए बजट सहायता और क़र्ज़ पर रेलवे की निर्भरता बढ़ी है. 2016-17 के मुक़ाबले 2017-18 में रेलवे के नेट रेवेन्यू सरप्लस में 66.10% की कमी आई है. 2016-17 में नेट रेवेन्यू सरप्लस 4913 करोड़ रु था जो 2017-18 में घटकर 1665.61 करोड़ रु रह गया. कुल पूंजीगत खर्च में आंतरिक स्रोतों का हिस्सा भी 2017-18 में घटकर 3.01% रह गया.