UP विधानसभा में 'तू-तू मैं-मैं' : डिप्टी CM के बोल पर गुस्साए अखिलेश बोले, "तुम अपने पिताजी से पैसा लाए क्या...?"

इस मुद्दे पर सदन में हंगामे की स्थिति बन गई और सपा के तमाम सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर हंगामा करने लगे.

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लखनऊ:

उत्‍तर प्रदेश विधानसभा सत्र के तीसरे दिन, बुधवार को उप मुख्‍यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली. राज्‍यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान यह स्थिति बनी. मौर्य ने अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव का जिक्र करते हुए कहा कि सदन में अपने भाषण के दौरान यादव बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में किये गये कामों का 'गुणगान' कर रहे थे लेकिन, ऐसा होता तो जनता चुनाव में सपा का सूपड़ा साफ नहीं करती. मौर्य ने अखिलेश यादव द्वारा सरकार की विभिन्न योजनाओं की शुरुआत सपा की पिछली सरकार के कार्यकाल में होने के दावों की तरफ इशारा करते हुए कहा, ''नेता प्रतिपक्ष अपने पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते थकते नहीं हैं. यह आपको कौन सा रोग है? अगर कोई रोग है तो मैं कहूंगा कि आप जांच करा लीजिए. हर योजना पर समाजवादी पार्टी का स्टिकर चस्पा करने के इस रोग से अब मुक्त हो जाइए. आप पांच साल बाहर रह चुके हैं.अब पांच और साल के लिए फिर बाहर हो गए हैं. आने वाले 25 साल तक आपका नंबर लगने वाला नहीं है.''

अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव के सम्बोधन के बाद अपनी बात कहने खड़े हुए उप मुख्यमंत्री ने यादव से मुखातिब होते हुए कहा, ''सड़क किसने बनाई है, एक्सप्रेस-वे किसने बनाया है, मेट्रो किसने बनाई है.... जैसे लगता है कि आपने अपनी सैफई की जमीन बेचकर यह सब बनवा दिया है.'' सैफई अखिलेश यादव का पुश्तैनी गांव है. इस पर तल्‍ख लहजे में जवाब देते हुए अखिलेश ने कहा-तुम पिता की जमीन बेचकर बनवा रहे हो क्या? इस मुद्दे पर सदन में हंगामे की स्थिति बन गई और सपा के तमाम सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर हंगामा करने लगे. विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने हस्तक्षेप करते हुए शोर मचा रहे सभी सदस्यों से अपनी जगह पर बैठने को कहा.

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इसी बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ''एक सम्मानित नेता के खिलाफ असभ्य शब्दों का उपयोग ठीक नहीं है. मैं नेता प्रतिपक्ष से बहुत विनम्रता से कहूंगा कि आपको इतना उत्तेजित नहीं होना चाहिए था. सवाल सैफई का नहीं है. हम जो विकास काम करा रहे हैं या आप की सरकार में जो विकास कार्य हुए होंगे, वह हमारा कर्तव्य था. सरकार तो सरकार होती है और हर सरकार को अपनी उपलब्धियां बताने का अधिकार है.''उन्होंने कहा, ''सहमति और असहमति लोकतंत्र की ताकत है लेकिन उपमुख्यमंत्री अगर अपनी बात रख रहे हैं तो हमें शालीनता से सुनना चाहिए. बहुत सारी बातें नेता प्रतिपक्ष की भी गलत हो सकती थी लेकिन हमने सुना. हमें जो स्वीकार करना होगा उसे करेंगे और उसका जवाब भी देंगे लेकिन बीच में इस तरह की उत्तेजना दिखाना उचित नहीं है.''आदित्यनाथ ने कहा, ''हम सदन में अपनी बात कह सकते हैं लेकिन ततू-मैंमैं नहीं होना चाहिए. किसी भी तरह की असभ्य भाषा का उपयोग नहीं होना चाहिए. मैं अध्यक्ष से अनुरोध करूंगा कि अगर इस प्रकार की शब्दावली सदन की कार्यवाही का हिस्सा बन रही है तो उसे हटवा दें, क्योंकि यह गलत परंपरा होगी और देश में इसका गलत संदेश जाएगा.'' (भाषा से भी इनपुट)

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