Income Tax Return Filing Tips: देश के नागरिकों को अपनी कमाई का एक निश्चित हिस्सा इनकम टैक्स (Income Tax) के रूप में सरकार को देना पड़ता है. इनकम टैक्स का बोझ हर सैलरीड क्लास पर होता है. उन्हें हर साल इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करना पड़ता है. इससे कई बार टैक्सपेयर्स को तनाव भी हो जाता है. इससे बचने के लिए सैलरीड क्लास के लोगों के लिए ये जरूरी है कि वो टैक्स फाइलिंग शुरू करने से पहले सभी जरूरी डिटेल्स की एक डॉक्यूमेंट्स तैयार कर लें. इससे टैक्स फाइलिंग की पूरी प्रक्रिया काफी आसान हो जाएगी. इसके साथ ही ये भी सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि टैक्स रिटर्न में दी गईं डिटेल्स सही हैं.
यहां हम आपको बताने जा रहे हैं कि इनकम टैक्स फाइल करने से पहले किन चीजों का ध्यान रखना चाहिए.
फॉर्म 16
अगर किसी टैक्सपेयर व्यक्ति ने नौकरी बदली है, फॉर्म 16 उसके लिए काफी जरूरी है. ये उस पूरी डिटेल्स का आधार है, जिसे व्यक्ति को टैक्स रिटर्न में डालना होता है. ये इसे बेहद अहम डॉक्यूमेंट बनाता है. फॉर्म 16 में व्यक्ति को कमाई गई इनकम की सभी डिटेल्स के साथ वो सारे डिडक्शन मिलेंगे, जिनके लिए वो क्लेम कर सकते हैं. इस फॉर्म में व्यक्ति को उसकी सैलरी के लिए किए गए सभी टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) की डिटेल्स भी मिलती हैं. इस तरह इससे उस राशि का प्रूफ भी मिलता है, जिसका टैक्स के तौर पर भुगतान किया गया है. कर्मचारी को फॉर्म 16 में जिक्र की गई डिटेल्स को चेक करना होता है. उसे देखना होगा कि ये कमाई गई राशि से मेल खाती है या नहीं.
इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट और फॉर्म 16A
बहुत से लोगों का बैंकों में जमा और दूसरा निवेश होता है, जहां से कुछ इनकम आती है. इसे इनकम टैक्स रिटर्न में दिखाना होता है और इन डिटेल्स को हासिल करने का सबसे अच्छा तरीका इंट्रेस्ट सर्टिफिकेट लेना होता है. इससे काम आसान हो जाता है, क्योंकि इसमें सेविंग्स बैंक इंट्रेस्ट के ब्रेकअप के साथ जमा पर कमाया गया दूसरा ब्याज भी होगा. तो इसे सही दिखाया जा सकेगा. सेविंग्स बैंक अकाउंट पर कमाए गए ब्याज पर सालाना 10,000 रुपये तक का डिडक्शन है, तो इसे क्लेम किया जाना चाहिए. फॉर्म 16A में इन जमा पर TDS दिखेगा, जिससे ये सुनिश्चित होगा कि क्लेम करने वाले टैक्स क्रेडिट में भी सही राशि दिख सके.
आय की दूसरी डिटेल्स
हर व्यक्ति की कई तरह की इनकम हो सकती हैं. इनमें कुछ निवेश जैसे म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) या डायरेक्ट इक्विटी से डिविडेंड जैसी चीजें शामिल हो सकती हैं. इस इनकम पर कुल इनकम और TDS पता करने के लिए कंपनी या म्यूचुअल फंड से जानकारी की जरूरत होती है. इसमें कुछ छोटी इनकम भी शामिल हो सकती है, जो कुछ दूसरे छोटे-मोटे काम के जरिए कमाई गई है. इसके अलावा निवेश और एसेट्स की बिक्री के जरिए कमाए गए कैपिटल गेन को भी मौजूद होना चाहिए. ऐसे कैपिटल गेन की डिटेल्स आपको ब्रोकर या म्यूचुअल फंड से मिल जाएगी.
हाउसिंग लोन सर्टिफिकेट
मौजूदा समय में, ज्यादातर टैक्सपेयर्स ओल्ड टैक्स रिजीम (Old Tax Regime) में ही हैं. बहुत कम ही न्यू टैक्स रिजीम में आए हैं. FY22-23 के लिए ऐसी उम्मीद है कि वो ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत ही अपना रिटर्न फाइल करेंगे. न्यू टैक्स रिजीम (New Tax Regime) मौजूदा वित्त वर्ष के लिए ही लागू है. जिन लोगों के पास हाउसिंग लोन (Housing Loan) है और वो इसके तहत बेनेफिट क्लेम करने जा रहे हैं, उन्हें ये सुनिश्चित करना चाहिए कि वो अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से हाउसिंग लोन पर ब्याज और कैपिटल रीपेमेंट सर्टिफिकेट लें. ये उस राशि का प्रूफ है, जिसे आप डिडक्शन के तौर पर क्लेम कर सकते हैं और इससे आपको टैक्स में इस्तेमाल की जाने वाली राशि के बारे में अंदाजा मिल जाएगा.
एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS)
आपके लिए ये महत्वपूर्ण है कि एक बार जब इन डिटेल्स को जमा कर लिया गया है, तो उसे AIS के साथ टैली करना होगा. AIS इनकम टैक्स विभाग के पास उपलब्ध होता है. टैक्स रिटर्न और AIS में दी गई डिटेल्स में फर्क नहीं होना चाहिए, वरना टैक्सपेयर को नोटिस मिल सकता है. AIS में सभी एंट्रीज को चेक करना चाहिए. इसके बाद ये सुनिश्चित करें कि जो कलेक्ट हुआ है, उसके साथ ये मेल खाए और इससे रिटर्न की भी जल्द प्रोसेसिंग होगी. वहीं, किसी तरह की गड़बड़ी के मामले में इसे टैक्स विभाग की जानकारी में लाकर सही करना होगा.