Literature | एनडीटीवी |बुधवार जुलाई 17, 2019 04:22 PM IST पुस्तक समीक्षाः किताब में समाज, जाति और धर्म से जुड़े अनेक प्रासंगिक सवाल हैं जिनका वाल्मीकि ने तार्किक एवं बेबाक जवाब दिया है. दसअसल, यह किताब मात्र संवाद भर नहीं, साहित्य में दलित विमर्श और समाज में दलितोत्थान के प्रयासों का एक पारदर्शी चेहरा है, जिसमें उनकी कमियां एवं अच्छाइयां सब स्पष्ट हो गई हैं.