Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार मार्च 24, 2017 10:39 PM IST सवाल ख़ुद से पूछना चाहिए कि क्या हम हर हाल में हिंसा की संस्कृति के ख़िलाफ़ हैं. अगर हैं तो क्या सभी प्रकार की हिंसा के ख़िलाफ़ बोल रहे हैं. आख़िर क्यों है कि पुलिस और अदालत के रहते हुए कई संगठन गले में का पट्टा डालकर खाने से लेकर पहनावे की तलाशी लेने लगते हैं. क्यों लोग इलाज में चूक होने पर सीधा डॉक्टरों को ही मारने लगते हैं.