Blogs | बरखा दत्त |शनिवार जुलाई 30, 2016 12:07 PM IST इसके लिए क्या कुछ नहीं कहा गया - मीडिया का झगड़ा, कहासुनी, कलह, दो हस्तियों के बीच तनातनी, बहुत कुछ, लेकिन असल में यह आज़ादी की लड़ाई है, उस धौंस जमाने वाले शख्स की धमकियों और उसके पत्रकारिता के शर्मनाक विनाश के दावे को नकारने की लड़ाई है.