India | Written by: मानस मिश्रा |शुक्रवार मई 24, 2019 04:21 PM IST लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा गठबंधन को आपेक्षित सफलता नहीं मिली है. इन दलों की 80 सीटों पर जातिगत गोलबंदी की कोशिश सफल नहीं हो सकी. जातियों में बंटी इन दोनों पार्टियों का हर समीकरण धरातल पर नाकाम साबित हुआ. इस तरह सपा-बसपा गठबन्धन के जातीय समीकरण के मिथक ध्वस्त हो गए. दोनों दल राज्य में हो रहे परिवर्तन को समझने में नाकाम रहे. वे लोगों तक अपनी बात को जनता तक पहुंचाने में कामयाब नहीं हो सके. दलित, पिछड़ा और मुस्लिम वोटों की फिराक में हुए इस गठबन्धन के सारे गणित ध्वस्त हो गए. गठबन्धन में कांग्रेस को शामिल न करना भी कुछ हदतक नुकसानदायक गया है. कांग्रेस के उतारे प्रत्याशी किसी-किसी सीट पर सपा बसपा पर भारी पड़ते दिखे. वह इनके लिए सचमुच वोटकटवा साबित हुए हैं. लेकिन बीजेपी के लिए उत्तर प्रदेश में लड़ाई बिलकुल आसान नहीं थी. गोरखपुर-फूलपुर और कैराना में हुए उपचुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में बीजेपी के पक्ष में माहौल बिलकुल नहीं था.