Betaal Review: नेटफ्लिक्स (Netflix) पर हॉरर-थ्रिलर सीरीज 'बेताल' रिलीज हो गई है. 'बेताल' को शाहरुख खान के प्रोडक्शन हाउस रेड चिली ने प्रोड्यूस किया है. लेकिन सीरीज को देखकर जुबान पर यही आता है कि ऊंची दुकान और फीके पकवान. फिर नेटफ्लिक्स पर 'आई जॉम्बी', 'सैंटा क्लैरिटी डाइट' और 'ब्लैक समर' जैसे जॉम्बी सीरीज देकने के बाद 'बेताल' बिल्कुल भी गले नहीं उतरती है. 'बेताल (Betaal)' में न तो क्वालिटी एक्टिंग नजर आती है, न ही रोमांच पैदा करने वाली कहानी और जॉम्बी तो बहुत ही ज्यादा हास्यास्पद हैं. इस तरह 'बार्ड ऑफ ब्लड' के बाद शाहरुख खान (Shah Rukh Khan) के प्रोडक्शन हाउस की यह सीरीज भी बहुत ज्यादा उत्साहिक करने वाली नहीं है.
'बेताल (Betaal Review)' की कहानी एक आदिवासी गांव की है. जहां पर एक गुफा है, और उस गुफा के अंदर बेताल रहता है. गांववाले किसी तरह से उस बेताल को शांत रखे हुए हैं. यह बेताल और कोई नहीं ब्रिटिश सेना का एक अंग्रेज अफसर है, और उसकी सेना है. लेकिन एक दिन इस इलाके में विकास कार्य शुरू होता है, और फिर एक बटालियन बुलाकर गांव वालों को रास्ते से हटाया जाता है ताकि इस गुफा को तोड़ा जा सके. लेकिन इसी चक्कर में बेताल आजाद हो जाता है. बस यहीं से ऐसे जॉम्बी नजर आते हैं, जो न तो काल्पनिक जॉम्बी जैसे ही दिखते हैं, और कुछ-कुछ रामसे की फिल्मों के अधकचरे भूत जैसे दिखते हैं.
'बेताल (Betaal Review)' के इन जॉम्बी की आंखों में लाल रोशनी जलती है, और फिर काफी कुछ बेतुका होता है जो न तो गले उतरता है और न ही आंखों को ही भाता है. ऐसा लगता है कि फिल्म के क्रिएटर भूत और जॉम्बी के कॉन्सेप्ट को मिलाकर कुछ बनाना चाहते थे, लेकिन बना कुछ भी नहीं. कई सवालों के जवाब आखिर तक नहीं मिल पाते हैं. एक्टिंग के मोर्चे पर भी किसी को इस जॉम्बी ड्रामा में इन्वॉल्व नहीं होना आता. सभी एक्टर बहुत ही बचकाने से लगते हैं. इस वेब सीरीज को देखकर यही समझ आता है कि काल्पनिक जॉम्बी, कल्पना के अंदर भी नहीं होते हैं. लॉकडाउन के इस दौर में जहां इस सीरीज से बहुत उम्मीद थी, लेकिन नेटफ्लिक्स की यह सीरीज निराश ही करती है.
रेटिंगः 1/5 स्टार
क्रिएटरः पैट्रिक ग्राहम
कलाकारः विनीत कुमार, अहाना कुमरा और सुचित्रा पिल्लई
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