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This Article is From Mar 06, 2019

Book Review: नायक से ज्यादा ‘खलनायक’ की अहमियत, बॉलीवुड के 101 विलेन की असली कहानी

बॉलीवुड में एक दौर था, जब दर्शक फिल्में देखने के बाद खलनायकों को असल में नकारात्मक रवैये से देखने, पहचानने और चिढ़ने लगे थे.

Book Review: नायक से ज्यादा ‘खलनायक’ की अहमियत, बॉलीवुड के 101 विलेन की असली कहानी
बॉलीवुड के दिग्गज कलाकार दिवंगत अमरीश पुरी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

बॉलीवुड में एक दौर था, जब दर्शक फिल्में देखने के बाद खलनायकों को असल में नकारात्मक रवैये से देखने, पहचानने और चिढ़ने लगे थे. यह खलनायक की अपनी दमदार भूमिका का कमाल था, जिसका श्रेय कम ही मिल पाता था. क्योंकि फिल्में अक्सर हीरो-हीरोइन की मानी जाती थी और अवार्ड शो में बेस्ट एक्टर, एक्ट्रेस व फिल्म को ही पुरस्कार मिलता था. लंबे समय से फिल्मों में खलनायक की अहमियत को दर्जा नहीं मिला. हालांकि बाद में बदलते समय के साथ कई परिवर्तन देखने को मिले और आज हीरो ही विलेन की भूमिका निभाते हुए नज़र आने लगे हैं. फ़िल्म जगत में एक दशक से ज्यादा समय से पत्रकारिता कर रहे फजले गुफरान ने बॉलीवुड के खलनायकों के सफर पर ‘मैं हूं खलनायक' पुस्तक लिखी है, जिसमें उन्होंने 101 से अधिक खलनायकों के जीवन व करियर में उतार-चढ़ाव के बारे में व्यक्त किया है. फजले गुफरान ने 40-50 साल पीछे जाकर उन खलनायकों को ढूंढ कर अपने किताब में जीवित कर दिया, जिन्हें आज के दौर में लोग भूल चुके हैं.

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‘मैं हूं खलनायक' में फजले गुफरान ने 352 पन्नों के जरिये खलनायकों की पृष्ठभूमि, जीवन, संघर्ष और सफलता के बारे में विस्तृत रूप से जानकारी दी है. वास्तव में, आज के दौर में विलेन की भूमिका की अहमियत बेहद बढ़ गयी है. फिल्मों में जब हीरो से लेकर निर्देशक तक खलनायक का किरदार निभाना शुरू कर दे, तो समझ लीजिए कि फिल्में सिर्फ हीरो-हीरोइन की नहीं, बल्कि खलनायक की भी है. गुफरान ने प्राण, अमरीश पुरी, प्रेम चोपड़ा, गुलशन ग्रोवर, डैनी, अमजद खान, कादर खान, कुलभूषण खरबंदा, सदाशिव अमरापुरकर, शक्ति कपूर, प्रेमनाथ, जीवन, रज़ा मुराद जैसे तमाम खलनायकों के बारे में बतलाया. इतना ही नहीं, आज के दौर में विलेन बनने की होड़ में शामिल होने वाले अभिनेताओं के नाम भी गिनाए. शाहरुख खान, जॉन अब्राहम, आमिर खान, सोनू सूद, विवेक ओबेरॉय, अजय देवगन, अक्षय कुमार, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी, रणवीर सिंह आदि ने भी निगेटिव एक्टिव से खुद के अभिनय में और भी चमक बिखेरी.

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‘मिस्टर इंडिया' फ़िल्म में अमरीश पुरी द्वारा ‘मोगैम्बो', फिल्म ‘शान' में कुलभूषण खरबंदा का ‘शाकाल', ‘शोले' फिल्म में अमजद खान का ‘गब्बर' का किरदार निभाया गया. जिसे बॉलीवुड के इतिहास में हमेशा याद किया जाता रहेगा. फजले गुफरान ने यह भी दर्शाया कि खलनायकों का असर सिर्फ अभिनेता या निर्माताओं पर ही नहीं पड़ा, बल्कि फिल्मों के नाम पर भी देखा गया. शत्रुघ्न सिन्हा की ‘कालीचरण', आमिर खान की ‘गजनी', अक्षय कुमार की ‘गब्बर सिंह' जैसी फिल्में भी खलनायकों के नाम बनाई गई.

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एक खलनायक की भूमिका में न जाने कितने किरदार बॉलीवुड में देखे जा चुके हैं और आगे भी देखे जाने हैं. गुफरान ने बॉलीवुड में खलनायकों का रोल निभाने वाले सेलिब्रिटी के अलावा इसके किरदार की भी अहमियत अपने किताब ‘मैं हूं खलनायक' से दर्शायी है. खलनायक के विभिन्न रूप को अपने पन्नों में रेखांकित किया है. पुराने जमाने से लेकर अब तक के खलनायक के बारे में जानने के फजले गुफरान की किताब ‘मैं हूं खलनायक' शानदार है.


‘मैं हूं खलनायक' (बॉलीवुड के खलनायकों का सफर)

लेखक- फजले गुफरान

प्रकाशक- यश पब्लिशर्स

मूल्य- 399/-

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