जयपुर में हाथ‍ियों को ख‍िलाई जाती है बाजरे की ख‍िचड़ी और च्यवनप्राश, सर्द‍ियों में नूरानी तेल से माल‍िश

जयपुर के आमेर में एकमात्र हाथी गांव में हाथियों को सर्दी से बचाने के लिए विशेष इंतजाम क‍िए गए हैं. उनका पूरा ख्‍याल रखा जा रहा है.

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जयपुर में हाथियों को खाने के लिए बाजरे की खिचड़ी और च्वयनप्राश दिया जाता है, जिसस उन्हें ठंड से बचाया जा सके.

सर्दियों के मौसम में हाथ‍ियों के रहने और खान-पान में बदलाव हुआ है. थान में पर्दे लगाए गए हैं. खाने में बाजरे की खिचड़ी और च्यवनप्राश द‍िया जा रहा है. सर्दी से बचाने के लिए हाथियों को नूरानी तेल से माल‍िश की जा रही है. पेट में कीड़े साफ करने और मिट्टी ना खाएं, इसके इसके लिए दवाइयां दी जा रही है. हाथ‍ी माल‍िक व‍िकास सम‍ित‍ि की तरफ से ये सारे इंतजाम क‍िए गए हैं. वन विभाग इसकी मॉनिटरिंग कर रहा है.

रूटीन डाइट में बदलाव  

इनके रूटीन डाइट‍ में बदलाव क‍िया जाता है. अधिक उम्र के हाथ‍ियों को हल्‍का आहार द‍िया जाता है, ज‍िससे वह आसानी से पचा सकें. हालांकि, सभी हाथियों को गन्ने की कर्वी भरपूर मात्रा में दी जाती है. क्योंकि, यह इनका मुख्य आहार है. हाथी गांव में 70 हथिनियां और एक नर हाथी बाबू रहता है. कुछ हथिनियां के थान (हथिनियां के रुकने का स्थान) अलग-अलग बने हुए है, जिससे ये एक दूसरे को देखकर आक्रामक नहीं हो सके.

हाथियों की दिनचर्या 

हाथी मलिक विकास समिति के अध्यक्ष बल्लू खान ने बताया कि इनके व्यवहार के अनुरूप ही इन्हें रखना पड़ता है. महावतों के साथ सुबह से शाम तक हाथी की दिनचर्या बनी रहती है. महावत सुबह हाथी को नहलाते हैं, और दिन में आमेर महल पर राइडिंग कराते हैं. शाम को वापस से थान पर लाकर बांध देते हैं, जिससे हाथी और महावत की जोड़ी बन जाती है, और वह उसको पहचाने लगता है.

हाथियों के लिए तैयार हो रही बाजरे की खिचड़ी.

बाजरे की खिचड़ी और च्यवनप्राश देते हैं

हाथी मालिक आसिफ खान ने बताया कि गर्मियों और सर्दियों के मौसम में हाथियों की डाइट अलग-अलग है. सर्दी के मौसम में दिन में गेहूं का दलिया और रात को बाजरे की खिचड़ी दी जाती है. इसके साथ अतिरिक्त गुड़ भी दिया जाता है. तेज सर्दी या कोहरा होने पर गुड़, आटे की लुगदी और च्यवनप्राश भी दिए जाते हैं. हाथियों के थान में गन्ने के पत्ते बिछाए जाते हैं, ताकि इन्हें रात में सर्दी का कम से कम अहसास हो. 

नूरानी तेल से हाथियों की मालिश

हाथी पालक सलीम खान ने बताया कि तेज सर्दी या घना कोहरा होने पर हाथियों को आमेर महल पर जाने से पहले नूरानी तेल से मालिश की जाती है, जिससे कोहरे में भी हाथियों के शरीर में गर्मी बनी रहे. इस तेल में लॉन्ग, लहसुन, तिल्ली का तेल, जायफल और जावित्री मिलाया जाता है, जो इन्हें सर्दी से बचाने में मदद करता है. इस तेल का प्रयोग हाथियों पर तेज सर्दी पड़ने पर ही कि जाती है.

हाथियों के खाने लिए बनी बाजरे की खिचड़ी.

साल में दो बार हेल्थ चेकअप 

हाथी गांव के वन्यजीव पशु चिकित्सक डॉक्टर सुनील जैन ने बताया कि साल में 2 बार वन विभाग की ओर से हाथियों के स्वास्थ्य की जांच होती है. हाथियों के ब्लड, यूरीन, लीद और फिकल के सैंपल लेकर जांच के लिए लैब भेजा जाता है. सर्दियों में इनका विशेष ध्यान रखा जाता है, तेज सर्दी या कोहरा पड़ने पर इनको बाजरे की खिचड़ी और च्यवनप्राश देने के लिए हाथी मालिकों को सलाह दी जाती है, जिससे इनके शरीर का तापमान सर्दी में भी सामान्य रहे. इनको परेशानी नहीं आए.

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शाही अनुभव देती आमेर की हाथी सवारी

वरिष्ठ टूरिस्ट पर्यटक गाइड महेश कुमार शर्मा ने बताया कि पर्यटन सीजन की शुरुआत हो चुकी है, पिंक सिटी की हाथी सवारी पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है. हाथी सवारी राजसी ठाठ-बाट का प्रतीक रही है. आज भी हाथी सवारी जयपुर की विरासत का अनुभव कराती है. हाथी सवारी के जरिए सैलानी राजघरानों के शाही ठाट-बाट को नजदीक से महसूस करते हैं. आमेर की हाथी सवारी पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है.

जयपुर से रोहन शर्मा की रिपोर्ट...

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