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बच्चे को होती है एंजाइटी और उसके आत्मविश्वास को हिला देती है माता-पिता की यह एक गलती, बता रही हैं एक्सपर्ट 

Parenting Tips: माता-पिता अक्सर ही कुछ ऐसी गलतियां कर देते हैं जो बच्चों के विकास पर बुरा असर डालती हैं. ऐसी ही एक गलती का यहां जिक्र किया जा रहा है जिससे बच्चों को एंजाइटी, लो कोंफिडेंस, लो सेल्फ एस्टीम और कभी-कभी जरूरत से ज्यादा गुस्सा आने जैसी दिक्कतों से दोचार होना पड़ता है. 

बच्चे को होती है एंजाइटी और उसके आत्मविश्वास को हिला देती है माता-पिता की यह एक गलती, बता रही हैं एक्सपर्ट 
Anxiety In Children: बच्चों की परवरिश में माता-पिता को कुछ बातों का रखना चाहिए ख्याल.  

Parenting: इसमें कोई दोराय नहीं कि माता-पिता सिर्फ अपने बच्चे का अच्छा ही चाहते हैं. उनकी कोशिश रहती है कि बच्चा जिंदगी में हमेशा आगे बढ़े, अच्छे काम करे, अच्छा इंसान बने और इतना कोंफिडेंट रहे कि कभी भी उसे किसी के सहारे की जरूरत ना पड़े. लेकिन, कई बार पैरेंट्स यह नहीं समझ पाते कि उनकी कुछ गलतियां (Parenting Mistakes) बच्चे का कोंफिडेंस कम होने का कारण बनती है, बच्चे को एंजाइटी (Anxiety) से जूझना पड़ता है और उसकी सेल्फ एस्टीम भी कम होने लगती है. यहां पैरेंटिंग कोच डॉ. मन्नत पैरेंट्स की एक ऐसी ही गलती का जिक्र कर रही हैं जिससे बच्चे के बिहेवियर में बदलाव आने लगते हैं. कई बार बच्चा बहुत ज्यादा गुस्सा करने वाला भी बन जाता है. कहीं आप भी तो नहीं करते यही गलती? जानिए पैरेंटिंग कोच से. 

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बच्चे की एंजाइटी का कारण बनती हैं पैरेंट्स की यह गलती । Parenting Mistake That Causes Anxiety In Children 

पैरेंटिंग कोच का कहना है कि माता-पिता का बच्चे पर चिल्लाना (Yelling) उनकी सबसे बड़ी गलती साबित होता है. बच्चों पर हमेशा ही चिल्लाते रहना उनकी इमोशनल डेवलपमेंट पर बुरा असर डालता है. इससे माता-पिता और बच्चे के आपसी रिश्ते तो खराब होते ही हैं, साथ ही बच्चे को एंजाइटी हो सकती है, उसके कोंफिडेंस में कमी, सेल्फ एस्टीम में कमी और पैरेंट्स की देखादेखी गुस्सा करने की आदत बढ़ जाती है. बच्चे जब पैरेंट्स से बार-बार डांट खाते हैं या जब पैरेंट्स बच्चे पर चिल्लाते रहते हैं तो इससे बच्चे को लगता है कि चिल्लाना नॉर्मल है. बच्चे अपने दोस्तों के बीच भी गुस्सैल रहने लगते हैं और आस-पास के लोगों पर चीखने-चिल्लाने की आदत डाल लेते हैं. ऐसे में पैरेंटिंग कोच (Parenting Coach) की सलाह है कि बच्चे पर चिल्लाने के बजाय पैरेंट्स को कुछ बातों को ध्यान में रखकर स्थिति को संभाल लेना चाहिए. 

बच्चे पर चिल्लाने के बजाय करें ये काम 

रिएक्ट करने से पहले रुकें - पैरेंटिंग कोच का कहना है किसी स्थिति में बच्चे पर तुरंत चिल्लाने के बजाए थोड़ा ठहरें, गहरी सांस लें या रिस्पोंड करने से पहले 5 तक गिनें. इस ठहरे गए समय में आप सोच सकेंगे कि आपको रिएक्ट कैसे करना है. 

आवाज को करें धीमा- बच्चे पर चिल्लाने के बजाए आप धीमा या चाहे तो फुसफुसाकर बोलें. इससे बच्चे का पूरा अटेंशन आपको मिलेगा और आप उसे काल्म यानी शांत रहना भी सिखा पाएंगे. 

ट्रिगर को समझने की कोशिश करें - आपको किस बात पर गुस्सा आता है और आप चिल्लाते हैं इसके ट्रिगर पॉइंट्स (Trigger Points) को समझने कि कोशिश करें. क्या यह स्ट्रेस है, थकान है या फिर आपकी वो एक्सपेक्टेशंस हैं जो पूरी नहीं हो पा रही हैं. चिल्लाने की जड़ को समझने पर आप स्थिति को बेहतर तरह से मैनेज कर पाएंगे. 

'मैं' पर दें जोर - बच्चे को यह कहने के बजाय कि वह कभी नहीं सुनता, उससे कहें कि मैं बुरा फील करता हूं जब तुम ऐसा करते हो. इससे आप बच्चे पर दोषारोपण नहीं करते बल्कि कम्यूनिकेशन को बढ़ाने की कोशिश करते हैं. 

काल्म डाउन रूटीन बनाएं अपने लिए - जिस स्थिति में आपको लगता है कि आप चिल्ला सकते हैं उस समय खुद को मैनेज करने के लिए स्ट्रेटजी बनाएं. चेहरे पर पानी मारना, दूसरे रूम में चले जाना, बैठ जाना या गहरी सांस लेना काम आ सकता है. 

बाउंडरीज और एक्सपेक्टेशंस को लेकर क्लियर रहें - बच्चे तब बेहतर तरह से रिस्पोंड कर पाते हैं जब उन्हें पता होता है कि उनसे क्या एक्सपेक्ट किया जा रहा है. आखिर में जाकर पावर स्ट्रगल्स ना हों इसके लिए पहले ही रूल्स सेट करके रखें. 

अच्छी चीजों को करें नॉटिस - बच्चे के पॉजीटिव बिहेवियर को नॉटिस करें और उसे बताएं कि आपको यह देखकर अच्छा लग रहा है. इस पॉजिटिव अप्रोच से आपके लिए चिल्लाने वाली स्थिति कम आएगी. 

चिल्लाने के बाद संभालें स्थिति - अगर आपने बच्चे पर चिल्लाया है तो एक्सेप्ट करें. इससे अपनी गलती मानना आता है. रिश्ते में दूरी ना आए इसका भी ध्यान रखें. 

अपना ध्यान रखें - थका हुआ और परेशान पैरेंट ही चिल्लाता है. ऐसे में अपना ख्याल रखें, अपनी नींद पूरी करने पर ध्यान दें, जब जरूरत हो तब ब्रेक लें. 

बच्चे को दें सिग्नल - बच्चे को विजुअल या वर्बल सिग्नल दें. हाथ से इशारा करके या फिर कुछ कहकर अपने चिल्लाने की इच्छा को कम करें और बच्चे को उसका व्यवहार सुधारने के लिए कहें. 

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