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This Article is From Oct 09, 2021

World Post Day 2021: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड पोस्ट डे? जानिए डाक दिवस का इतिहास और इस साल की थीम

World Post Day : आज विश्व डाक दिवस (World Post Day) है, दुनिया भर में विश्व डाक दिवस बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है. इसा साल की है ये खास थीम.

World Post Day 2021:  क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड पोस्ट डे? जानिए डाक दिवस का इतिहास और इस साल की थीम
World Post Day 2021 images: वर्ल्ड पोस्ट डे दुनिया भर में हर साल 9 अक्टूबर को मनाते हैं.
नई दिल्ली:

पूरी दुनिया में वर्ल्ड पोस्ट (World Post Day)  डे मनाया जा रहा है. वर्ल्ड पोस्ट डे (World Post Office Day) हर वर्ष 9 अक्टूबर को मनाया जाता है. डाक दिवस या कहे पोस्ट डे दुनिया भर में बड़े ही जोश के साथ सेलिब्रेट किया जाता है. डाक विभाग (Post Office) दशकों तक देश के भीतर ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में एक देश से दूसरे देश तक सूचना पहुंचाने का सबसे विश्वसनीय, सुगम और सस्ता माध्यम रहा है. वर्ल्ड पोस्ट डे (विश्व डाक दिवस) का मॉटिव आम आदमी और कारोबारियों की रोजाना की जिंदगी सहित देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में डाक क्षेत्र के योगदान के बारे में जागरूकता लाना है.

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यूं मनाया जाता है वर्ल्ड पोस्ट डे

आपको बता दें कि वर्ल्ड पोस्ट डे दुनिया भर में हर साल 9 अक्टूबर को मनाते हैं. वर्ल्ड पोस्ट डे मनाने का मकसद लोगों को डाक सेवाओं और डाक विभाग के बारें में जागरूक करना और उनको सुविधा प्रदान करना है.

जान लें World Post Day का इतिहास

साल 1874 में इस दिन यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (यूपीयू) का गठन करने के लिए स्विट्जरलैंड की राजधानी बर्न में 22 देशों ने एक समझौते पर सिग्नेचर किए थे. साल 1969 में टोकियो, जापान में आयोजित एक सम्मेलन में विश्व डाक दिवस के तौर पर इस दिन को चुना गया. एक जुलाई 1876 को भारत यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन का सदस्य बनने वाला भारत पहला एशियाई देश रह चुका है. जनसंख्या और अंतर्राष्ट्रीय मेल ट्रैफिक के आधार पर भारत शुरू से ही प्रथम श्रेणी का सदस्य रहा है. संयुक्त राष्ट्र संघ के गठन के बाद 1947 में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन संयुक्त राष्ट्र की एक विशिष्ट एजेंसी बन कर उभरी थी.

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नई तकनीक से जुड़ रही है डाक सेवा

तकनीक के बदलते हुए दौर में दुनियाभर की डाक व्यवस्थाओं ने मौजूदा सेवाओं में सुधार किया और खुद को नई तकनीकी सेवाओं के साथ जोड़ा है. डाक, पार्सल, पत्रों को गंतव्य तक पहुंचाने के लिए एक्सप्रेस सेवाएं शुरू की गई हैं. डाकघरों द्वारा मुहैया कराई जानेवाली वित्तीय सेवाओं को भी आधुनिक तकनीक से जोड़ा जा चुका है. नई तकनीक आधारित सेवाओं की शुरुआत करीब 20 साल पहले की गई और उसके बाद से इन सेवाओं का और तकनीकी विकास किया गया था. साथ ही इस दौरान ऑनलाइन पोस्टल लेन-देन में भी लोगों का भरोसा बढ़ा.

यूपीयू के एक रिसर्च में यह पाया गया कि दुनियाभर में इस समय 55 से भी ज्यादा कई प्रकार की पोस्टल ई-सेवाएं उपलब्ध हैं. भविष्य में पोस्टल ई-सेवाओं की संख्या और अधिक बढ़ाई जाने वाली है. पोस्टल ऑपरेशंस काउंसिल (पीओसी) यूपीयू का तकनीकी और संचालन संबंधी निकाय रहा है. इसके अंदर 40 सदस्य देश शामिल हैं, इनका चयन सम्मेलन के दौरान किया जाता है. यूपीयू के मुख्यालय बर्न में इसकी ईयरली बैठक होती है. यह डाक व्यापार के संचालन, आर्थिक और व्यावसायिक के सभी मामलों को देखता है. जहां कहीं भी एकसमान कार्यप्रणाली या व्यवहार जरूरी हों, वहां अपनी क्षमता के अनुसार यह तकनीकी और संचालन समेत अन्य प्रक्रियाओं के मानकों के लिए सदस्य देशों को अपनी अनुशंसा मुहैया कराता है.

एक डाक कर्मचारी 1,258 औसत आबादी को सेवा मुहैया कराता है

संप्रेषण के अन्य माध्यमों के आने से भले ही इसकी प्रासंगिकता कम हो गई हो, लेकिन कुछ मायने में अभी भी इसकी प्रासंगिकता बरकरार है. दुनियाभर में पोस्ट ऑफिस (Post Office) से संबंधित इन आंकड़ों से हम इसे और अधिक स्पष्ट रूप से समझ सकते हैं. डाक विभाग से 82 फीसदी वैश्विक आबादी को होम डिलीवरी का फायदा मिलता है. एक डाक कर्मचारी 1,258 औसत आबादी को सेवा मुहैया कराता है. इस समय दुनियाभर में 55 प्रकार की पोस्टल ई-सेवाएं उपलब्ध है. डाक ने 77 फीसदी ऑनलाइन सेवाएं दे रखी हैं. 133 पोस्ट वित्तीय सेवाएं मुहैया कराती है. पांच दिन के मानक समय के अंदर 83.62 फीसदी अंतरराष्ट्रीय डाक सामग्री बांटी जाती है.

पोस्टल कोड 142 देशों में है

बता दें कि 142 देशों में पोस्टल कोड उपलब्ध है. डाक के इलेक्ट्रॉनिक प्रबंधन और निगरानी के लिए 160 देशों की डाक सेवाएं यूपीयू की अंतरराष्ट्रीय पोस्टल सिस्टम सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रही है. इस तरह से 141 देशों ने अपनी यूनिवर्सल पोस्टल सेवा को परिभाषित किया हुआ है. भारतीय डाक विभाग (Indian Post) पिनकोड नंबर (पोस्टल इंडेक्स नंबर) के आधार पर देश में डाक वितरण का कार्य कर रहा है. पिनकोड नंबर का प्रारंभ 15 अगस्त, 1972 से शुरू हुआ. इसके अंतर्गत डाक विभाग ने देश को नौ भोगोलिक क्षेत्रो में बांटा था. बता दें कि संख्या 1 से 8 तक भौगोलिक क्षेत्र हैं और नौ संख्या सेना डाकसेवा को आवंटित की गई. पिन कोड की पहली जो संख्या है वह क्षेत्र, वहीं दूसरी संख्या उपक्षेत्र और तीसरी संख्या जिले को दर्शाती है. वहीं, अंतिम तीन संख्या उस जिले के विशिष्ट डाकघर को दर्शाती है.

इस दिन की जाती है डाक टिकट प्रदर्शनी

इस मौके पर दुनिया भर में यूपीयू की 192 सदस्य देश विश्व डाक दिवस तो वैश्विक मेल यानी डाक के महत्व को रेखांकित करते हैं. इस मौके पर यह भी बताया जाता है कि यूपीयू का समाज और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर क्या और किस तरह प्रभाव पड़ रहा है. यही नहीं, इस दिन विशेष डाक टिकट प्रदर्शनी भी आयोजित की जाती है और नए डाक नवाचारों की भी घोषणा की जाती है.

ये है 2021 की थीम

साल 2021 में विश्व डाक दिवस के मौक पर बहुत ही बेहतरीन थीम रखी गई है, ‘इनोवेट टू रिकवर' यानी ‘बहाली के लिए नया परिवर्तन लाएं'. इसमें इस बात का वचन लेने की बात भी कही गई है कि आज डाक व्यवस्था को सुधारने के साथ साथ बचाने के लिए प्रयास किए जाएं. जो आज की जरूरत बन गई है. जहां दुनिया में सब कुछ डिजिटल होता जा रहा है, वहां यूपीयू ने सभी से निवेदन किया है कि वे डाक सेवाओं को बहाल करने में मदद करें और उसे बचाने के लिए बेहतर नए विचार प्रदान करें.

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