नयी दिल्ली:
ऑटिज्म से पीड़ित महिलाओं और लड़कियों को अपने दैनिक दिनचर्या करने में बहुत अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. ऑटिज्म एक मानसिक बीमारी है, जिसके लक्षण बचपन से ही नजर आने लगते हैं. इस रोग से पीड़ित बच्चों का विकास तुलनात्मक रूप से धीमे होता है. इस रोग से पीड़ित लोग समाज में घुलने-मिलने में हिचकते हैं. वह किसी सवाल या कार्य पर प्रतिक्रिया देने में भी काफी समय लेते हैं.
एक शोध के निष्कर्ष से पता चला कि इस रोग से पीड़ित महिलाएं अपने दैनिक कार्यो को पूरा करने के दौरान अधिक चुनौतियों का सामना करती हैं.
अमेरिका में चिल्ड्रेंस नेशनल हेल्थ सिस्टम में मनोवैज्ञानिक एलिसन रैटो ने कहा, "हमारा लक्ष्य यह पता करना था कि इस रोग से पीड़ित लोगों का व्यवहार वास्तविक दुनिया में कैसा होता है, न कि सिर्फ नैदानिक व्यवहार जानना, जो हम ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी) के चिकित्सकीय उपयोग के लिए करते हैं. हम यह समझना चाहते थे कि ये लोग वास्तव में अपने दैनिक जीवन में क्या करते हैं."
शोधार्थियों ने कहा, "यह निष्कर्ष चौंकाने वाले थे, क्योंकि सामान्यता इस रोग से पीड़ित लड़कियों व महिलाओं ने प्रत्यक्ष आकलन के दौरान बेहत संचार व सामाजिक कौशल को प्रदर्शित किया था." शोध की रिपोर्ट पत्रिका 'ऑटिज्म रिसर्च' में प्रकाशित हुई है.
न्यूज आईएएनएस से इनपुट
एक शोध के निष्कर्ष से पता चला कि इस रोग से पीड़ित महिलाएं अपने दैनिक कार्यो को पूरा करने के दौरान अधिक चुनौतियों का सामना करती हैं.
अमेरिका में चिल्ड्रेंस नेशनल हेल्थ सिस्टम में मनोवैज्ञानिक एलिसन रैटो ने कहा, "हमारा लक्ष्य यह पता करना था कि इस रोग से पीड़ित लोगों का व्यवहार वास्तविक दुनिया में कैसा होता है, न कि सिर्फ नैदानिक व्यवहार जानना, जो हम ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी) के चिकित्सकीय उपयोग के लिए करते हैं. हम यह समझना चाहते थे कि ये लोग वास्तव में अपने दैनिक जीवन में क्या करते हैं."
शोधार्थियों ने कहा, "यह निष्कर्ष चौंकाने वाले थे, क्योंकि सामान्यता इस रोग से पीड़ित लड़कियों व महिलाओं ने प्रत्यक्ष आकलन के दौरान बेहत संचार व सामाजिक कौशल को प्रदर्शित किया था." शोध की रिपोर्ट पत्रिका 'ऑटिज्म रिसर्च' में प्रकाशित हुई है.
न्यूज आईएएनएस से इनपुट
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