भगवान से पहले गुरु का नाम लिया जाता है.
कहते हैं कि एक गुरू के बिना किसी भी लक्ष्य तक पहुंच पाना संभव नहीं है. गुरु ही आपको जिंदगी जीने का तरीका और उसमें आने वाली मुश्किलों से लड़ने के बारे में बताता है. यही वजह है कि सैकड़ों साल पहले की कई कहानियां ऐसी हैं जिनमें गुरु और शिष्य के रिश्ते को बड़ी ही खूबसूरती से बयां किया गया है. सबसे बड़ा उदारहरण इकलव्य का है जिसने अपने गुरु द्रोणाचार्य को अपना अंगूठा गुरु दक्षिणा के तौर पर दे दिया था. यही वजह है कि भगवान से पहले गुरु का नाम लिया जाता है.
शिक्षकों का दिवस
जहां पहले गुरु हुआ करते थे वहीं आज उनकी जगह शिक्षक होते हैं. जो स्कूल से लेकर कॉलेज तक अपने छात्रों को हर वह शिक्षा देते हैं जो उन्हें समाज में और उनके करियर में बुलंदियों तक पहुंचाने के काम आती है. वैसे तो शिक्षक ही छात्रों को ज्ञान, जानकारियां और अनुभव देता है, लेकिन एक दिन ऐसा भी है जब छात्र अपने गुरु यानी शिक्षक को तोहफा देते हैं. इसे शिक्षक दिवस यानी टीचर्स डे के तौर पर मनाया जाता है. डा. सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिन 5 सितंबर को इस दिन को मनाया जाता है.
कौन थे सर्वपल्ली राधा कृष्णन
डा. सर्वपल्ली राधा कृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति और एक शिक्षक थे. वह पूरी दुनिया को ही स्कूल मानते थे, उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए. वह पढ़ाने से ज्यादा छात्रों के बौद्धिक विकास पर जोर देने की बात करते थे. वह पढ़ाई के दौरान काफी खुशनुमा माहौल बनाकर रखते थे. 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
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ऐसे करते हैं सेलिब्रेट
अपने शिक्षकों के इस खास दिन को सेलिब्रेट करने में छात्र भी पीछे नहीं रहते हैं. कई स्कूलों में इसके लिए दो तीन दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं. छात्र अपने पसंदीदा टीचर को फीलगुड कराने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं. ग्रीटिंग कार्ड पर शिक्षक के सम्मान में कुछ लाइनें लिखकर भी दी जाती हैं. इसके अलावा कई स्कूलों में इस दिन नाटकों का भी आयोजन होता है. जिसमें छात्र शिक्षकों की भूमिका में नजर आते हैं. वैसे ज्यादातर छात्र इस दिन शिक्षकों को पेन या फिर उनकी कोई पसंदीदा किताब गिफ्ट करते हैं. पूरे दिन शिक्षक और छात्र खूब मस्ती करते हैं और इस खास दिन को सेलिब्रेट करते हैं.
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सोशल मीडिया पर टीचर्स डे
आज जब हर चीज सोशल मीडिया पर आ चुकी है, तो शिक्षक दिवस कैसे अछूता रह सकता है. स्कूल जाने से पहले या अपने शिक्षक से मिलने से पहले उन्हें सोशल मीडिया पर मैसेज लिखकर टैग कर दिया जाता है. कई छात्र गूगल का सहारा लेकर किसी इमेज या फिर इलस्ट्रेशन के जरिए टीचर्स डे विश करते हैं. टीचर्स डे के कुछ दिन पहले से यह माहौल सोशल मीडिया पर दिखना शुरू हो जाता है. इसका एक फायदा उन छात्रों को भी होता है जो स्कूल या कॉलेज से पासआउट हो चुके हैं. वे अपने शिक्षकों को सोशल मीडिया के जरिए इस खास दिन की बधाई देते हैं और खुद के जीवन में उनके योगदान को भी बयां करते हैं.
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शिक्षकों का दिवस
जहां पहले गुरु हुआ करते थे वहीं आज उनकी जगह शिक्षक होते हैं. जो स्कूल से लेकर कॉलेज तक अपने छात्रों को हर वह शिक्षा देते हैं जो उन्हें समाज में और उनके करियर में बुलंदियों तक पहुंचाने के काम आती है. वैसे तो शिक्षक ही छात्रों को ज्ञान, जानकारियां और अनुभव देता है, लेकिन एक दिन ऐसा भी है जब छात्र अपने गुरु यानी शिक्षक को तोहफा देते हैं. इसे शिक्षक दिवस यानी टीचर्स डे के तौर पर मनाया जाता है. डा. सर्वपल्ली राधा कृष्णन के जन्मदिन 5 सितंबर को इस दिन को मनाया जाता है.
कौन थे सर्वपल्ली राधा कृष्णन
डा. सर्वपल्ली राधा कृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति और एक शिक्षक थे. वह पूरी दुनिया को ही स्कूल मानते थे, उनका कहना था कि जहां कहीं से भी कुछ सीखने को मिले उसे अपने जीवन में उतार लेना चाहिए. वह पढ़ाने से ज्यादा छात्रों के बौद्धिक विकास पर जोर देने की बात करते थे. वह पढ़ाई के दौरान काफी खुशनुमा माहौल बनाकर रखते थे. 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया.
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ऐसे करते हैं सेलिब्रेट
अपने शिक्षकों के इस खास दिन को सेलिब्रेट करने में छात्र भी पीछे नहीं रहते हैं. कई स्कूलों में इसके लिए दो तीन दिन पहले से तैयारियां शुरू हो जाती हैं. छात्र अपने पसंदीदा टीचर को फीलगुड कराने के लिए नए-नए तरीके अपनाते हैं. ग्रीटिंग कार्ड पर शिक्षक के सम्मान में कुछ लाइनें लिखकर भी दी जाती हैं. इसके अलावा कई स्कूलों में इस दिन नाटकों का भी आयोजन होता है. जिसमें छात्र शिक्षकों की भूमिका में नजर आते हैं. वैसे ज्यादातर छात्र इस दिन शिक्षकों को पेन या फिर उनकी कोई पसंदीदा किताब गिफ्ट करते हैं. पूरे दिन शिक्षक और छात्र खूब मस्ती करते हैं और इस खास दिन को सेलिब्रेट करते हैं.
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सोशल मीडिया पर टीचर्स डे
आज जब हर चीज सोशल मीडिया पर आ चुकी है, तो शिक्षक दिवस कैसे अछूता रह सकता है. स्कूल जाने से पहले या अपने शिक्षक से मिलने से पहले उन्हें सोशल मीडिया पर मैसेज लिखकर टैग कर दिया जाता है. कई छात्र गूगल का सहारा लेकर किसी इमेज या फिर इलस्ट्रेशन के जरिए टीचर्स डे विश करते हैं. टीचर्स डे के कुछ दिन पहले से यह माहौल सोशल मीडिया पर दिखना शुरू हो जाता है. इसका एक फायदा उन छात्रों को भी होता है जो स्कूल या कॉलेज से पासआउट हो चुके हैं. वे अपने शिक्षकों को सोशल मीडिया के जरिए इस खास दिन की बधाई देते हैं और खुद के जीवन में उनके योगदान को भी बयां करते हैं.
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