खून देने से लगता है डर? इन मिथकों को तोड़ करिए रक्तदान बेफिक्र

खून देने से लगता है डर? इन मिथकों को तोड़ करिए रक्तदान बेफिक्र

रक्तदान यानी महादान- सुना तो आपने भी होगा। खून देकर आप किसी की जिंदगी बचा सकते हैं, लेकिन कई लोग रक्तदान करने से डरते हैं। आमतौर पर इस डर के पीछे रक्तदान से जुड़ी कुछ बातें होती हैं जो सच नहीं हैं। आइए जानते हैं रक्तदान से जुड़े कुछ ऐसे ही मिथक जिन्हें तोड़कर आप बेफिक्र रक्तदान कर सकते हैं...

कमजोरी होगी

रक्तदान करने के बाद आप शरीर में पानी की कमी या थकान महसूस नहीं करेंगें। बस तरल पदार्थ लेते रहिए और अच्छा खाना खाइए। 

शेड्यूल बिगड़ जाएगा
रक्तदान के बाद आप अपने रोज के काम पर आसानी से लौट सकते हैं। हां, अगले 12 घंटे तक एक्सरसाइज करने या अधिक वजन उठाने से बचें। 

खून कम हो जाएगा
रक्तदान करने से खून की कमी नहीं होती। इंसान के शरीर में खून देने के बाद भी प्रचुर मात्रा में खून बचा होता है। 

दर्द होगा
खून देने में कोई दर्द नहीं होता। सूई चुभने का दर्द भी बेहद कम होता है और इसके अलावा किसी तरह का दर्द नहीं होता।

बेहोशी या बेचैनी होगी 
कई लोगों में यह धारणा होती है कि खून देने के बाद बेहोशी या बेचैनी होती है लेकिन ऐसा कुछ नहीं होता। 

इंफेक्शन हो जाएगा
रक्तदान के लिए बेहद स्पष्ट प्रक्रिया का पालन किया जाता है। सभी स्तर पर स्वच्छता रखी जाती है। हर रक्तदान के लिए एक रोगाणुरहित, नई सूई का इस्तेमाल किया जाता है। इससे इंफेक्सन का खतरा न के बराबर होता है। 

मेरा ब्लड टाइप तो कॉमन है
दुनिया में कुछ ब्लड ग्रुप कॉमन हैं और कुछ दुर्लभ। लेकिन अगर कोई ब्लड ग्रुप कॉमन है तो उसके मरीज भी ज्यादा ही होंगे। इसलिए अगर आपके कॉमन ब्लड टाइप की जरूरत ज्यादा होती है। 

मेरी उम्र ज्यादा है
रक्तदान करने की कोई ऊपरी आयुसीमा नहीं होती। जब तक आपका वजन 50 किलो से ज्यादा हो और आपका शरीर स्वस्थ हो, आप खून दे सकते हैं। 

मैं शाकाहारी हूं
शाकाहारी लोग भी रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान करने से शरीर से कम हुआ लौहतत्व यानी आयरन अच्छे संतुलित शाकाहार से भी फिर से हासिल किया जा सकता है। 

समय नहीं है
रक्तदान की पूरी प्रक्रिया 15-20 मिनट की होती है। इसमें से सिर्फ 5 मिनट ही आपके शरीर से खून लिया जाता है। 

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