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पहाड़ का पसीना है शिलाजीत, जानें कहां और कैसे मिलता ताकत का ये खजाना

Shilajit Extraction Process: शिलाजीत को लेकर कई तरह के भ्रम हैं, कुछ लोगों को लगता है कि ये कोई जड़ी-बूटी है, वहीं कुछ लोग ये जानना चाहते हैं कि आखिर इसके बनने का पूरा प्रोसेस क्या है.

पहाड़ का पसीना है शिलाजीत, जानें कहां और कैसे मिलता ताकत का ये खजाना
शिलाजीत बनने का पूरा प्रोसेस

शिलाजीत का नाम सुनते ही ताकत का एहसास होने लगता है. ये एक ऐसी चीज है, जिसे ताकत का खजाना भी कहा जाता है. पहाड़ों में मिलने वाला शिलाजीत खासतौर पर पुरुषों की सेहत के लिए फायदेमंद माना गया है, इसीलिए इसका बिजनेस भी लगातार बड़ा होता जा रहा है. असली शिलाजीत काफी सीमित मात्रा में मिलता है, ऐसे में नकली शिलाजीत भी खूब बिकता है और कई लोगों ने इसे कमाई का जरिया बनाया है. आज हम आपको बताएंगे कि शिलाजीत कहां से लाया जाता है और इसकी असली पहचान क्या होती है. 

क्या होता है शिलाजीत?

शीलाजीत को पहाड़ों का पसीना भी कहा जाता है. क्योंकि ये पहाड़ों के बीच रिसता हुआ एक चिपचिपा पदार्थ है, जो हिमालय जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में पौधों और जैविक पदार्थों के लंबे समय तक डिकंपोज होने के बाद बनता है. ये गहरा काला होता है और इसमें फुल्विक एसिड, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट भर भरकर होते हैं. यही वजह है कि इसे आयुर्वेद में कमजोरी दूर करने का सबसे कारगर उपाय माना गया है. ये तेजी से टेस्टेस्टोरेन के लेवल को बढ़ाता है. 

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कहां मिलता है शिलाजीत?

अब लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि आखिर ये ताकत का खजाना कहां से आता है. भारत के हिमालयी क्षेत्रों में शिलाजीत सबसे ज्यादा मिलता है, यहां लोग हर साल पहाड़ों से शिलाजीत निकालकर लाते हैं. हर किसी को इसकी पहचान करना नहीं आता है, इसे चट्टानों के बीच से निकाला जाता है. शिलाजीत नेपाल, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तिब्बत और चीन के पहाड़ी इलाकों में भी पाया जाता है. आज भी कई ग्रामीण इलाकों में ये एक बड़ा रोजगार का साधन है. 

कैसे निकलता है शिलाजीत?

शिलाजीत निकालने के लिए लोग अपनी जान की बाजी लगाकर खड़ी चट्टानों पर जाते हैं और वहां मौजूद काले पत्थरों की पहचान करते हैं. इन पत्थरों की दरारों के बीच शिलाजीत पाया जाता है. इनके टुकड़े तोड़कर घर पर लाया जाता है और फिर इसे काफी देर तक उबालना पड़ता है. इसके बाद छानकर शिलाजीत को अलग किया जाता है. इसके बाद फिर से इसे तब तक उबाला जाता है, जब तक वो पानी सूख न जाए जो सबसे पहले उबालने के लिए डाला गया था. बाद में ये एक गाढ़ा काला पदार्थ बन जाता है और ठंडा करने के बाद इसे पैक किया जाता है. असली शिलाजीत का स्वाद कड़वा होता है.

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