भीषण गर्मी के बाद बारिश का मौसम यूं तो सभी के मन को भाता है और यह मौसम खूब सारी मस्ती लेकर आता है, लेकिन इस मौसम में बीमारियां भी काफी बढ़ती हैं. इस मौसम में डेंगु, चिकनगुनिया के साथ-साथ पीलिया, टायफाइड, डायरिया जैसी बीमारियां बहुत ज्यादा फैलती हैं. इन बीमारियों से बचने के लिए डॉक्टर्स पानी को उबालकर पीने और मच्छरदानी लगाकर सोने की सलाह देते हैं.
बारिश के मौसम में हो सकती हैं ये बीमारियां :
पीलिया : रक्तरस में पित्तरंजक नामक एक रंग होता है, जिसके बढ़ने से त्वचा में पीलापन आ जाता है. इस दशा को पीलिया या जॉन्डिस कहते हैं.
कारण : दूषित पानी के इस्तेमाल और कच्ची सब्जियां खाने से यह बीमारी ज्यादा फैलती है.
लक्षण : अमाशय में सूजन, भूख कम लगना, उल्टी, कब्ज, पसलियों के नीचे भारीपन, सिरदर्द और थकावट.
रोकथाम और उपचार : अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इसके अलावा पानी उबालकर पीएं, कम से कम दो सप्ताह आराम करें. प्रोटीन युक्त खाना खाएं, ग्लूकोज लें और गन्ने का रस पीएं.
मलेरिया : तेज बुखार, इसका प्रमुख लक्षण है, लेकिन यह सामान्य बुखार से अलग होता है. मलेरिया में रोगी को रोजाना या एक दिन छोड़कर बहुत तेज बुखार आता है. साथ ही शरीर में कपकपी भी होती है.
कारण : पानी जमा होने से मच्छर का पनपना.
लक्षण : बुखर का आना और जाना. मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी.
रोकथाम और उपचार : अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरदानी लगाकर सोएं, आसपास पानी न जमने दें, घर के पास नालियों में समय-समय पर डीडीटी का छिड़काव करते रहें.
टायफाइड : इसे मियादी बुखार के नाम से जाना जाता हैं. इसे मोतीझरा भी कहा जाता हैं. इसका दूसरा नाम एंट्रिक फीवर (आंत्र ज्वर) भी हैं.
कारण : मिलावटी और दूषित खाना खाने से और दूषित पानी पीने से.
लक्षण : लंबे समय तक बुखार रहना, पेट में दर्द, सिर दर्द.
रोकथाम और उपचार : अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. मरीज को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रखें, चिकित्सकों के परामर्श से दवा लें, स्वस्थ होने के बाद भी आराम करें.
बारिश के मौसम में हो सकती हैं ये बीमारियां :
पीलिया : रक्तरस में पित्तरंजक नामक एक रंग होता है, जिसके बढ़ने से त्वचा में पीलापन आ जाता है. इस दशा को पीलिया या जॉन्डिस कहते हैं.
कारण : दूषित पानी के इस्तेमाल और कच्ची सब्जियां खाने से यह बीमारी ज्यादा फैलती है.
लक्षण : अमाशय में सूजन, भूख कम लगना, उल्टी, कब्ज, पसलियों के नीचे भारीपन, सिरदर्द और थकावट.
रोकथाम और उपचार : अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इसके अलावा पानी उबालकर पीएं, कम से कम दो सप्ताह आराम करें. प्रोटीन युक्त खाना खाएं, ग्लूकोज लें और गन्ने का रस पीएं.
मलेरिया : तेज बुखार, इसका प्रमुख लक्षण है, लेकिन यह सामान्य बुखार से अलग होता है. मलेरिया में रोगी को रोजाना या एक दिन छोड़कर बहुत तेज बुखार आता है. साथ ही शरीर में कपकपी भी होती है.
कारण : पानी जमा होने से मच्छर का पनपना.
लक्षण : बुखर का आना और जाना. मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी.
रोकथाम और उपचार : अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इस बीमारी से बचने के लिए मच्छरदानी लगाकर सोएं, आसपास पानी न जमने दें, घर के पास नालियों में समय-समय पर डीडीटी का छिड़काव करते रहें.
टायफाइड : इसे मियादी बुखार के नाम से जाना जाता हैं. इसे मोतीझरा भी कहा जाता हैं. इसका दूसरा नाम एंट्रिक फीवर (आंत्र ज्वर) भी हैं.
कारण : मिलावटी और दूषित खाना खाने से और दूषित पानी पीने से.
लक्षण : लंबे समय तक बुखार रहना, पेट में दर्द, सिर दर्द.
रोकथाम और उपचार : अगर आपको इस तरह के लक्षण दिखाई दें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. मरीज को परिवार के अन्य सदस्यों से अलग रखें, चिकित्सकों के परामर्श से दवा लें, स्वस्थ होने के बाद भी आराम करें.
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