वैज्ञानिकों ने कम कीमत वाली एवं एक प्रभावी प्रक्रिया विकसित की है जिसके जरिए बेकार हो चुके डेनिम को फिर से इस्तेमाल हो सकने वाले सूती के कपड़ों बदला जा सकता है. यह ऐसी प्रगति है जो हर साल विश्व भर में बेकार कपड़ों के कारण बनने वाले कूड़े के पहाड़ को खत्म करने में कारगर होगी.
कपड़ों संबंधी कचरे में सूती से बनने वाले डेनिम जैसे कपड़े सबसे ज्यादा शामिल होते हैं. वहीं, कपास की खेती करने के लिए जमीन एवं संसाधनों की जरूरत होती है.
कपड़ों के पुनर्चक्रण के लिए प्रक्रियाएं मौजूद हैं लेकिन वे निष्प्रभावी एवं महंगी होती हैं. खराब हो चुके डेनिम को फिर से इस्तेमाल हो सकने वाले सूती के कपड़ों में प्रभावी ढंग से परिवर्तित करने से इन दोनों ही समस्याओं से निजात मिल सकती है.
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ऑस्ट्रेलिया की डेकिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बेकार डेनिम से विस्कस प्रकार के रेयॉन तैयार किए.
पूर्व में शोधकर्ताओं ने सूती कपड़ों को घोलने के लिए आयनिकृत द्रव का प्रयोग किया है लेकिन ये बहुत महंगे होते हैं साथ ही इनके चिपचिपेपन की वजह से इन पर काम करना भी मुश्किल होता है.
इस बार शोधकर्ताओं ने इस विलायक (सॉल्वेंट) की कीमत को 70 फीसदी तक घटाने में सफलता हासिल की है. उन्होंने तीन तरह के कपड़ों का चूरा बनाया और उसे आयनी द्रव 1 बुटाइल-3-मिथाइलीमिडजोलियम एसिटेट और डाइमिथाइल सल्फोक्साइड (डीएमएसओ) के एक चौथाई मिश्रण में घोला.
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इस मिश्रण से शोधकर्ताओं को आयनी द्रव की कम मात्रा प्रयोग करनी पड़ी साथ ही इसने इस द्रव के चिपचिपेपन को भी घटाया.
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