Happy Republic Day 2020: हर साल की तरह इस साल भी देश 26 जनवरी (26 January) को गणतंत्र दिवस (Republic Day) का जश्न मना रहा है. 26 जनवरी के दिन ही देश में संविधान (Indian Constitution) लागू किया गया था. तभी से हर साल इस दिन को गणतंत्र दिवस के तौर पर मनाया जाता है. बता दें कि भारतीय स्वाधीनता आंदोलन के बदौलत 15 अगस्त 1947 को भारत एक आजाद देश बन गया था. आजादी के बाद भारत के पास खुद का कोई स्थायी संविधान नहीं था. 29 अगस्त 1947 को संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी का गठन किया गया जिसका अध्यक्ष डॉ बीआर अंबेडकर (Dr. BR Ambedkar) को बनाया गया. ड्राफ्टिंग कमेटी ने 4 नवंबर 1947 को संविधान तैयार कर संविधान सभा को सौंपा. इसके बाद संविधान पर चर्चा की गई. संविधान सभा ने 24 जनवरी 1950 को संविधान पारित कर दिया. इसके दो दिन बाद 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में संविधान लागू कर दिया गया. 26 जनवरी का जश्न मनाने के लिए हर साल राजपथ पर खास तौर पर रिपब्लिक डे परेड का आयोजन किया जाता है. इस साल रिपब्लिक डे परेड में ब्राजील के राष्ट्रपति जैर बोलसोनारो मुख्य अतिथि होंगे.
गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व है इसलिए इस मौके पर सभी एक दूसरे को देशभक्ति भरे मैसेज भेजते हैं और बधाई देते हैं. इसीलिए यहां आपके लिए 10 मैसेजेस दिए जा रहे हैं. इन्हें आज से ही भेजिए और मनाइए गणतंत्र दिवस:
इतना सुंदर जीवन दिया हमें
कई लोगों की कुर्बानी ने
फैशन ने अंधा कर दिया हमें
जोश भरी जवानी में
क्या समझेंगे हम मोल इस आजादी का
कभी सहा नहीं दर्द हमने गुलामी का
मां तुझे सलाम
तू मस्तक पर विराजे
यही है मेरी शान
तिरंगा मिले कफन में मुझे
यही उपहार होगा तेरा
हर जीवन तेरे आंचल में खिले
यही अरमान होगा मेरा
सीमा पर लोग मरते हैं
वो खुशनसीब अमर हो जाते हैं
मेरी बदकिस्मती है ये
हम आम जिंदगी जीएं चले जाते हैं
दिल के तार जुड़ गए हैं उससे
बेवफाई ना होगी मुझसे
उसकी भक्ति में ही सुकून है
ऐ भारत मां क्या तुझे मेरा मस्तक कुबूल है
शान है दिल में तिरंगे की
जिंदगी से इतना प्यार न रह गया
भारत मां का दुलार ही जीवन बन गया
न पाल हिन्दू-मुस्लिम का बैर
मेरी मां के प्यार को न बना इतना गैर
उसके दिल में सभी समान हैं
सब मिलकर रहे इसी में उसकी शान है
क्या हिन्दू क्या मुस्लिम
क्या सिख क्या ईसाई
मेरी मां ने कहा था
हम सब हैं भाई-भाई
पैसे की चाह में देश छूट गया
ऐ वतन मैं तुझसे दूर हो गया
न जानता था मैं
इस मिट्टी की खुशबू
न समझता था मैं
अपनों की आरजू
आज जब तिरंगा देखा मैंने
मेरे वतन की याद आने लगी
आज जब राष्ट्रगान सुना मैंने
मुझे वतन की खुशबू सताने लगी
ना जियो धर्म के नाम पर
ना मरो धर्म के नाम पर
इंसानियत ही है धर्म वतन का
बस जियो वतन के नाम पर
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