
अंडों में बढ़ने वाला आनुवंशिक दोष महिला से उनकी बेटियों में पहुंच जाता है
- देर से प्रेग्नेंट होने वानी महिलाओं की बेटियों में बांझपन का खतरा
- देर से मां बनने पर बेटियों की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है
- महिलाओं की पिता की उम्र का इससे कोई लेना-देना नहीं है
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'द गार्डियन' की रिपोर्ट के मुताबिक, अंडों में बढ़ने वाला यह आनुवंशिक दोष महिला से उनकी बेटियों में पहुंच जाता है, जिससे उनके अंडे की गुणवत्ता कम होती है. महिलाओं के पिता की उम्र का हालांकि यहां कोई महत्वपूर्ण प्रभाव देखने को नहीं मिलता.
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रिपोर्ट ने अटलांटा में रिप्रोडक्टिव बायोलॉजी एसोसिएट्स से पीटर नैगी के हवाले से बताया, 'मां की प्रजनन की उम्र न केवल खुद के लिए ही महत्वपूर्ण है, लेकिन यह निश्चित रूप से उनकी बेटी की प्रजनन क्षमता को निर्धारित करता है, बल्कि बेटियों के बांझ होने का अंदेशा भी रहता है.'
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उन्होंने आगे कहा, 'जब हम 40 की उम्र की आसपास की महिलाओं को गर्भवती बनने में मदद करते हैं, उसी दौरान उन बच्चों में बांझपन का जोखिम अधिक रहता है.'
रजोनिवृत्ति यानी कि Menopause की उम्र अलग-अलग होती है, लेकिन आम तौर पर यह 50 साल के करीब होता है. अगर कोई महिला Menopause के करीब होने के दौरान बच्चे को जन्म देती है तो उसकी बेटी की प्रजनन क्षमता प्रभावित होने की आशंका ज्यादा रहती है.
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यह रिसर्च न्यू ओरलींस स्थित अमेरिकन सोसाइटी ऑफ रिप्रोडक्टिव मेडिसिन में पेश किया गया था.
VIDEO: जानें सुरक्षित प्रग्नेंसी के उपाय Input: IANS
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