न्यूयार्क: 
                                        क्या कभी आपने सोचा है कि आपके बच्चों की कौन-सी अवस्था आपके लिए थोड़ी मुश्किल भरी हो सकती है। नहीं तो जनाब ये जान लें कि  12-14 साल की उम्र में आपकी संतान आपको मुसीबत में डाल सकती है। एक शोध में यह बात सामने आई है।
टेंशनभरा है छोटी उम्र के बच्चों का ध्यान रखना
अमेरिका की एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सूनिया लूथर के अनुसार, "शिशुओं और छोटी उम्र के बच्चों का ध्यान रखना शारीरिक रूप से काफी थकाऊ है, लेकिन बच्चे की तरुण अवस्था में मां का जीवन पहले से कहीं अधिक कठिन हो जाता है। इस दौरान माताएं बच्चों के शारीरिक बदलावों के साथ ही स्कूल में उनकी संगत को लेकर भी चिंतित रहती हैं।"
बच्चों के प्रति बेहद चिंतित रहती हैं माएं
इस शोध के लिए 2,200 से अधिक पढ़ी-लिखी महिलाओं व उनके बच्चों का अध्ययन किया गया। इस दौरान महिलाओं के व्यक्तित्व के कई पहलुओं, उनका पालन-पोषण और बच्चों को लेकर उनकी धारणाओं का अध्ययन किया गया। लूथर ने बताया, "महिलाएं ऐसी स्थिति में बेहद उथल-पुथल के दौर से गुजरती हैं। वह इस दौर में अपने बच्चों के प्रति बेहद चिंतित रहती हैं।" यह शोध पत्रिका 'डेवलपमेंट साइकोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है।
                                                                                 
                                                                                
                                                                                                                        
                                                                                                                    
                                                                        
                                    
                                टेंशनभरा है छोटी उम्र के बच्चों का ध्यान रखना
अमेरिका की एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर सूनिया लूथर के अनुसार, "शिशुओं और छोटी उम्र के बच्चों का ध्यान रखना शारीरिक रूप से काफी थकाऊ है, लेकिन बच्चे की तरुण अवस्था में मां का जीवन पहले से कहीं अधिक कठिन हो जाता है। इस दौरान माताएं बच्चों के शारीरिक बदलावों के साथ ही स्कूल में उनकी संगत को लेकर भी चिंतित रहती हैं।"
बच्चों के प्रति बेहद चिंतित रहती हैं माएं
इस शोध के लिए 2,200 से अधिक पढ़ी-लिखी महिलाओं व उनके बच्चों का अध्ययन किया गया। इस दौरान महिलाओं के व्यक्तित्व के कई पहलुओं, उनका पालन-पोषण और बच्चों को लेकर उनकी धारणाओं का अध्ययन किया गया। लूथर ने बताया, "महिलाएं ऐसी स्थिति में बेहद उथल-पुथल के दौर से गुजरती हैं। वह इस दौर में अपने बच्चों के प्रति बेहद चिंतित रहती हैं।" यह शोध पत्रिका 'डेवलपमेंट साइकोलॉजी' में प्रकाशित हुआ है।
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