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This Article is From May 13, 2020

लॉकडाउन का असर, 40 सालों में पहली बार देश में कार्बन डाइऑक्साइड उत्‍सर्जन में आई भारी कमी

विश्लेषकों ने इसके लिए कोयला, तेल और गैस की खपत आंकड़ों का उपयोग किया और निष्कर्ष निकाला कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में CO2 उत्सर्जन में 30 मिलियन टन की गिरावट आई है.

लॉकडाउन का असर, 40 सालों में पहली बार देश में कार्बन डाइऑक्साइड उत्‍सर्जन में आई भारी कमी
40 साल में पहली बार CO2 उत्सर्जन में इतनी गिरावट देखी गई है. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

वैज्ञानिकों का दावा है कि पिछले 70 सालों में पहली बार 2020 में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में इतनी अधिक कमी देखी गई है. कुछ ऐसी रिपोर्ट्स भी सामने आई है, जिनमें लॉकडाउन की वजह से मानव गतिविधियों में आई कमी को देखते हुए वायु प्रदूषण में भी गिरावट की बात की गई है. भारत में लॉकडाउन की वजह से 40 सालों में पहली बार कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में भारी गिरावट देखी गई है. 

दरअसल, ऊर्जा और स्वच्छ वायु पर अनुसंधान के लिए केंद्र (CREA) के इस डाटा को एनालिस्ट लॉरी मिलिवित्रा और सुनील दहिया ने कार्बन ब्रीफ नाम की वेबसाइट पर शेयर किया है. विश्लेषकों का कहना है कि देश में CO2 उत्सर्जन में मार्च में लगभग 15% और अप्रैल में लगभग 30% तक गिरावट देखी गई है. 

विश्लेषकों ने इसके लिए कोयला, तेल और गैस की खपत आंकड़ों का उपयोग किया और निष्कर्ष निकाला कि पिछले वित्त वर्ष की तुलना में वित्त वर्ष 2019-20 में CO2 उत्सर्जन में 30 मिलियन टन की गिरावट आई है. बिजली और परिवहन क्षेत्र की वजह से देश में सबसे ज्यादा CO2 का उत्सर्जन होता है. 

यह विश्लेषण विभिन्न मंत्रालयों के सरकारी आंकड़ों पर आधारित है और इसमें कहा गया है कि कोयला आधारित संयंत्रों से उत्पन्न होने वाली बिजली की खपत में मार्च में 15% और अप्रैल के पहले तीन हफ्तों में 31% तक गिरावट देखी गई. इसके विपरीत, रिन्यूएबल एनर्जी (आरई) में मार्च में 6.4% की वृद्धि और अप्रैल के पहले तीन हफ्तों में 1.4% की मामूली कमी देखी गई.

केवल कोयले की खपत ही नहीं बल्कि तेल की खपत में भी कमी आई है. तेल की मांग में कमी देखी गई है और पिछले वर्ष की तुलना में इस साल तेल की खपत में 18% की कमी देखी गई है. विश्लेषकों ने कहा, ''कोयला, तेल और गैस की खपत के लिए उपरोक्त संकेतकों का इस्तेमाल करते हुए हमने अनुमान लगाया है कि मार्च में खत्म होने वाले वित्त वर्ष 2019-20 में CO2 के उत्सर्जन में 30 मिलियन टन की गिरावट देखी गई, जो पिछले 4 दशकों में सबसे ज्यादा है.''

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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