छोटी उम्र में बच्चों को नहीं चढ़ाना चश्मा, तो करें ये आसान उपाय
नई दिल्ली:
आपके बच्चे अगर स्मार्टफोन या कम्प्यूटर पर घंटों समय बिताते हैं, गेम खेलते रहते हैं, वीडियो देखते हैं या फिर फोटोज़ ही स्लाइड करते रहते हैं तो उनकी आंखों की रोशनी कमजोर पड़ने की संभावना ज्यादा रहती है. मगर चिंता छोड़िए और उन्हें खेलने के लिए बाहर भेजिए. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर बच्चे हर रोज कम से कम दो घंटे बाहर सूरज की रोशनी में खेलते हैं, तो उनकी आंखें कमजोर होने से बच सकती हैं.
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आंखों की रोशनी धुंधली होने की इस रोग को मायोपिया कहते हैं. इसमें पास की नजर कमजोर होती है, जिससे पास की चीजें धुंधली दिखाई देती हैं. इसमें रोशनी आंख द्वारा अपवर्तन के बाद रेटिना के पहले ही प्रतिबिंब बना देता है (न कि रेटिना पर). इस कारण दूर की वस्तुओं का प्रतिबिंब स्पष्ट नहीं बनता (आउट ऑफ फोकस) और चींजें धुंधली दिखती हैं.
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विशेषज्ञों के अनुसार, इस परिस्थिति का कारण है आंखों के लिए प्राकृतिक रोशनी की कमी.
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लंदन में मूरफील्ड्स आई हॉस्पिटल में ओप्थाल्मोलॉजिस्ट की सलाहकार एनेग्रेट डाल्मान-नूर ने कहा, "इसमें मुख्य कारण सीधे तौर पर प्रत्यक्ष सूर्य के प्रकाश के संपर्क में कमी की संभावना है. जो बच्चे अधिक पढ़ते हैं, अधिक रूप से कम्प्यूटर, स्मार्टफोन और टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं और जिन्हें बाहर खेलने-कूदने का कम अवसर मिलता है, उनमें यह कमी साफ नजर आती है."
अभिभावकों के लिए बच्चों को इन उपकरणों के इस्तेमाल से रोकना बड़ा काम है. इसमें विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों को जितना हो सके, उतने अधिक समय के लिए बाहर खेलने के लिए लेकर जाएं.
इसके साथ ही बच्चों को ओमेगा-3 की डाइट देना जरूरी है. इसके साथ ही उन्हें विटामिन-ए, सी और ई की भी जरूरत होगी, जो उनकी आंखों के लिए अच्छी होगी.
विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें बच्चों की नियमित रूप से आंखों की जांच भी मददगार साबित हो सकती है.
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इसके साथ ही बच्चों को ओमेगा-3 की डाइट देना जरूरी है. इसके साथ ही उन्हें विटामिन-ए, सी और ई की भी जरूरत होगी, जो उनकी आंखों के लिए अच्छी होगी.
विशेषज्ञों का कहना है कि इसमें बच्चों की नियमित रूप से आंखों की जांच भी मददगार साबित हो सकती है.
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