बच्चा रो-रोकर अपनी बात मनवा लेता है तो आज से उसके टैंट्रम झेलने के बजाय यूं करें कंट्रोल

बच्चा बात बात पर रोता है और अपनी बात मनवा लेता है तो आज से उसके टैंट्रम झेलने के बजाय ऐसे करें कंट्रोल.

बच्चा रो-रोकर अपनी बात मनवा लेता है तो आज से उसके टैंट्रम झेलने के बजाय यूं करें कंट्रोल

bachche ka gussa kaise shant karen : बच्चे के गुस्से को कैसे नियंत्रित करें.

What is a temper tantrum behavior : छोटे बच्चे  बहुत नाजुक होते हैं.  हर पल माता-पिता को उनका ख्याल  रखना पड़ता है.  सोते हुए, दूध पीते हुए, खेलते हुए यहां तक की रोते हुए भी उनका ध्यान  रखने की जरूरत होती है. कई बार नवजात शिशु  (Newborn Baby) रोते हुए सांस रोक लेते हैं, नीले पड़ जाते हैं और फिर सुस्त हो जाते हैं. दरअसल, हर माता पिता अपने बच्चों की शरारतें देखना पसंद करते है. वहीं माता - पिता के जीवन में उनके बच्चों की शैतानी और नखरें एक सुंदर हिस्सा होते है. लेकिन चार साल की उम्र तक आते - आते बच्चों के नखरे बढ़ जाते हैं. जब बच्चों के मन  के हिसाब से काम न हो, तो वह गुस्से से अपनी बात बताते है, जिसे हम टैंपर (tamper)  या टैंट्रम (tantrum) कहते हैं. उनके  नखरे शारीरिक और मौखिक दोनों हो सकते. टैंपर टैंट्रम के तहत बच्चा गलत और अप्रिय व्यवहार करने लगता है. 4 वर्ष से छोटे बच्चे नियमित रूप से सप्ताह में नौ बार नखरे करते है. लेकिन 15 मिनट से ज्यादा के हिंसक नखरे करता है, तो यह चिंता का विषय है. 

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एक्सपर्ट कहती हैं  कि बच्चों के सामान्य व्यवहार में बदलाव टैंपर टैंट्रम कहलाता है. जब आपका बच्चा चिड़चिड़ा रहता है, बहुत गुस्सा करता है या फिर बहुत ज्यादा रोता है, तो इसका मतलब है कि बच्चा टैंपर टैंट्रम से जूझ रहा है. ऐसा बच्चे कई कारणों से कर सकते हैं. जैसे कि जब बच्चा काफी भूखा हो  या फिर  उसकी नींद पूरी ना हुई हो,अगर पैरेंट्स इस समस्या का निदान कर लें, तो इसे जल्द ही बहुत आसानी से हैंडल किया जा सकता है. टैंपर टैंट्रम की स्थिति में आपको बहुत ज्यादा रिएक्ट करने की जरूरत नहीं है. उसे कुछ देर के लिए अकेला छोड़ दें . 

जब आप बच्चों को उनकी पसंद की चीज न दिलएं या फिर उनकी कोई बात न मानें, तो बच्चे अक्सर चिल्लाने और रोने लगते हैं. जब भी ऐसा हो, तो तुरंत उनका ध्यान वहां से हटाकर किसी और चीज की तरफ लगाएं . 

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कई बार बच्चे  बेवजह की चीजों की डिमांड करते हैं.  ऐसे में पेरेंट्स उन्हें  उस चीज के लिए ना कह देते हैं.  यह ऐसी गलती है, जिसे ज्यादातर पैरेंट दोहराते हैं. पर आप ऐसा न करें। क्योंकि आपके ना कहने से बच्चा  और ज्यादा  भड़क सकता है. ना कहने के बजाय उसे उस चीज से होने वाले नुकसान के बारे में बताएं. 

 माता - पिता छोटे बच्चों के नखरों को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन बाद में ऐसा करना कठिन होता है. बात न मानी जाने पर ऐसे बच्चे बड़ें होकर आक्रामक बनते हैं, जो दूसरों और स्वयं के लिए खतरा पैदा कर सकते हैं.

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