History Behind India's National Festival: गांधी जयंती वाले दिन राष्ट्रीय अवकाश रखा जाता है, जो 2 अक्टूबर को पूरे देश में हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. यह दिन हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को उनके जन्मदिन पर याद करने के लिए मनाया जाता है. गांधी जी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था, लेकिन ज्यादातर लोग उन्हें बापूजी या महात्मा गांधी कहते थे. हालांकि, अपने जन्मदिन को मनाये जाने के बारे में बापू खुद ये कहते थे कि मेरे मरने के बाद मेरी कसौटी होगी कि मेरा जन्मदिन मनाया जाए कि नहीं.
गांधी जयंती का महत्व (Significance Of 2 October In India)
15 जून, 2007 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रुप में घोषित किया गया. भारत में गांधी जयंती (Gandhi Jayanti), प्रार्थना सभाओं और राजघाट नई दिल्ली पर विशेष रूप से गांधी प्रतिमा के सामने श्रद्धांजलि देकर राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाई जाती है. महात्मा गांधी की समाधि पर राष्ट्रपति और भारत के प्रधानमंत्री की उपस्थिति में प्रार्थना आयोजित की जाती है, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया था. इस दिन उनका सबसे पसंदीदा और भक्ति गीत रघुपति राघव राजा राम उनकी स्मृति में गया जाता है. पूरे भारत में इस दिवस को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी आयोजित किया जाता है.
कितना मुश्किल रहा उनके जीवन का सफर
इसमें कोई संदेह नहीं है कि गांधी जी ने स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों के खिलाफ अपने पूरे जीवन भर संघर्ष किया. उनका जीवन अपने आप में एक प्रेरणा है. मोहनदास करमचंद गांधी की शादी 13 साल की उम्र में कस्तूरबा से हुई थी. गांधी कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए थे. चार साल बाद वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद भारत लौट आये और कुछ दिनों तक यहां अभ्यास किया, लेकिन कोई सफलता नहीं मिली. इसी बीच उन्हें दक्षिण अफ्रीका की यात्रा करने का अवसर मिला. उन्हें दक्षिण अफ्रीका में नस्लीय भेदभाव का भी सामना करना पड़ा. दक्षिण अफ्रीका में, जब वे प्रथम श्रेणी की ट्रेन में यात्रा कर रहे थे, तब एक अंग्रेज ने उनके सामान के उनको बॉक्स से बाहर कर दिया था. इसके बाद उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीयों के साथ अमानवीय व्यवहार और भेदभाव के खिलाफ भारतीय कांग्रेस का गठन किया.
Gandhi Jayanti 2021: जानिये गांधी जयंती का महत्व
दक्षिण अफ्रीका में भारतीयों के अधिकारों के लिए संघर्ष के दौरान गांधी जी ने आत्म-शुद्धि और सत्याग्रह के सिद्धांतों का उपयोग करना शुरू किया था, जो अहिंसा उनकी व्यापक दृष्टि का हिस्सा थी. उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में भारतीय श्रमिकों, खनन श्रमिकों और खेतिहर मजदूरों को एकजुट किया और ब्रिटिश शासन के अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई. 21 साल तक दक्षिण अफ्रीका में रहने के बाद गांधी जी 1915 में भारत लौट आये.
प्राकृतिक संसाधनों पर गांधी जी का संदेश
उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते समय संयम और करुणा- दोनों का अनुपालन करने की सलाह दी और स्वयं इनका पालन करके मिसाल कायम करते हुए नेतृत्व प्रदान किया. वह अपना शौचालय स्वयं साफ करते थे और आसपास के वातावरण की स्वच्छता सुनिश्चित करते थे. वह यह सुनिश्चित करते थे कि पानी कम से कम बर्बाद हो और अहमदाबाद में उन्होंने इस बात पर विशेष ध्यान दिया कि दूषित जल साबरमती के जल में ना मिले.
कैसे हुआ गांधी जी का निधन
30 जनवरी 1948 को नाथूराम गोडसे ने मोहनदास करमचंद गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी थी. बता दें कि गोडसे एक हिंदू महासभा के सदस्य थे. उन्होंने महात्मा गांधी पर पाकिस्तान का पक्ष लेने का आरोप लगाया और अहिंसा के सिद्धांत का विरोध किया.
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