नई दवा से बिना भूखे रहे घटा सकेंगे वजन
नई दिल्ली:
बढ़ते वजन से हर कोई परेशान है. ये ना सिर्फ अपने साथ कई बीमारियां लाता है बल्कि इससे शरीर की सुंदरता भी बिगड़ जाती है. इससे छुटकारा पाने के लिए एक्सरसाइज़ से लेकर खान-पान तक, हर चीज़ में ध्यान रखा जाता है. लेकिन ज़रा-सा बदलाव फिर वही घटा वजन बढ़ा देता है. ऐसे में ये रिसर्च आपके लिए काफी मददगार साबित हो सकती है.
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अगर आप खुद को बिना भूखा रखे अपना वजन घटाना चाहते हैं तो आपके लिए नई दवा खुशी का संकेत लेकर आई है. भारतीय मूल के वैज्ञानिकों में से एक की अगुआई में एक दल ने एक नई दवाई विकसित कर रहे हैं जिससे आप बिना खुद को भूखा रखे अपने शरीर की अतिरिक्त चर्बी खत्म कर सकेंगे.
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अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि यह दवाई आपके शरीर में फैट सेल मेटाबॉलिज्म बढ़ाकर सिर्फ अतिरिक्त चर्बी को ही खत्म करता है.
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वैज्ञानिकों ने मेटाबॉलिक ब्रेक को मोटी सफेद वसा कोशिकाओं में सक्रिय होने से रोकने में मददगार तत्व को खोज निकाला है. मेटाबॉलिक ब्रेक को रोकने के बाद वे सफेद वसा कोशिकाओं में मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में सक्षम हो सके हैं.
अध्ययन की मुख्य लेखिका टैक्सास मेडिकल शाखा विश्वविद्यालय की हर्शिनी नीलकांतन ने बताया, "फैट सेल ब्रेक की क्रिया को रोकने से एक नई वसा से जुड़ी प्रणाली का पता चला, जिसकी सहायता से कोशिकाओं की मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने तथा सफेद वसा कोशिकाओं की संख्या को कम करने में मदद मिली. इससे मोटापे और उससे संबंधित मेटाबॉलिक (चयापचय संबंधी) बीमारियों के मूल कारण का इलाज होता है."
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बायोकेमिकल फार्माकोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित इस हालिया अध्ययन के अनुसार, मोटापे से ग्रस्त चूहे के भूख को कम किए बिना उसके शरीर का वजन और रक्त के कोलेस्ट्रॉल का स्तर उल्लेखनीय रूप से घटाने में यह दवा सफल रही.
अध्ययन के दौरान चूहों को मोटा होने तक उच्च वसा युक्त भोजन दिया गया जिसके बाद उन्हें परीक्षण के लिए यह नई दवा दी गई साथ ही प्लेसबो दवा दी गई.
दस दिन इस दवा का अध्ययन करने के बाद अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि असली दवाई ले रहे मोटे चूहों ने अपने वजन का 7 प्रतिशत से अधिक वजन कम किया और उनकी सफेद वसा कोशिकाओं का वजन और कोशिका का आकार प्लेसबो लेने वालों की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत तक कम हो गया.
इसके साथ ही सामान्य दवा लेने वाले चूहों के खून में कोलस्ट्रॉल का स्तर कम होकर सामान्य चूहों के बराबर हो गया.
वहीं दूसरी तरफ प्लेसबो लेने वाले चूहों में सफेद वसा जमा होता रहा और अध्ययन के पूरे समय में उनका वजन बढ़ता रहा.
अध्ययन के दौरान नई दवा और प्लेसबो खाने वाले चूहों को समान भोजन दिया गया, यह रोमांचक बात सामने आयी कि भूख को दबाने से वजन कम नहीं हुआ है.
नीलकांतन ने बताया, "अध्ययन के प्रारंभिक परिणाम मनोबल बढ़ाने वाले हैं और इस तकनीक को आगे बढ़ाकर मेटाबॉलिक बीमारियों के इलाज में सहायता मिलेगी."
देखें वीडियो - क्या पीएम की पहल से सस्ता होगा इलाज?
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अगर आप खुद को बिना भूखा रखे अपना वजन घटाना चाहते हैं तो आपके लिए नई दवा खुशी का संकेत लेकर आई है. भारतीय मूल के वैज्ञानिकों में से एक की अगुआई में एक दल ने एक नई दवाई विकसित कर रहे हैं जिससे आप बिना खुद को भूखा रखे अपने शरीर की अतिरिक्त चर्बी खत्म कर सकेंगे.
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अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि यह दवाई आपके शरीर में फैट सेल मेटाबॉलिज्म बढ़ाकर सिर्फ अतिरिक्त चर्बी को ही खत्म करता है.
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वैज्ञानिकों ने मेटाबॉलिक ब्रेक को मोटी सफेद वसा कोशिकाओं में सक्रिय होने से रोकने में मददगार तत्व को खोज निकाला है. मेटाबॉलिक ब्रेक को रोकने के बाद वे सफेद वसा कोशिकाओं में मेटाबॉलिज्म बढ़ाने में सक्षम हो सके हैं.
अध्ययन की मुख्य लेखिका टैक्सास मेडिकल शाखा विश्वविद्यालय की हर्शिनी नीलकांतन ने बताया, "फैट सेल ब्रेक की क्रिया को रोकने से एक नई वसा से जुड़ी प्रणाली का पता चला, जिसकी सहायता से कोशिकाओं की मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने तथा सफेद वसा कोशिकाओं की संख्या को कम करने में मदद मिली. इससे मोटापे और उससे संबंधित मेटाबॉलिक (चयापचय संबंधी) बीमारियों के मूल कारण का इलाज होता है."
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बायोकेमिकल फार्माकोलॉजी नामक जर्नल में प्रकाशित इस हालिया अध्ययन के अनुसार, मोटापे से ग्रस्त चूहे के भूख को कम किए बिना उसके शरीर का वजन और रक्त के कोलेस्ट्रॉल का स्तर उल्लेखनीय रूप से घटाने में यह दवा सफल रही.
अध्ययन के दौरान चूहों को मोटा होने तक उच्च वसा युक्त भोजन दिया गया जिसके बाद उन्हें परीक्षण के लिए यह नई दवा दी गई साथ ही प्लेसबो दवा दी गई.
दस दिन इस दवा का अध्ययन करने के बाद अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि असली दवाई ले रहे मोटे चूहों ने अपने वजन का 7 प्रतिशत से अधिक वजन कम किया और उनकी सफेद वसा कोशिकाओं का वजन और कोशिका का आकार प्लेसबो लेने वालों की तुलना में लगभग 30 प्रतिशत तक कम हो गया.
इसके साथ ही सामान्य दवा लेने वाले चूहों के खून में कोलस्ट्रॉल का स्तर कम होकर सामान्य चूहों के बराबर हो गया.
वहीं दूसरी तरफ प्लेसबो लेने वाले चूहों में सफेद वसा जमा होता रहा और अध्ययन के पूरे समय में उनका वजन बढ़ता रहा.
अध्ययन के दौरान नई दवा और प्लेसबो खाने वाले चूहों को समान भोजन दिया गया, यह रोमांचक बात सामने आयी कि भूख को दबाने से वजन कम नहीं हुआ है.
नीलकांतन ने बताया, "अध्ययन के प्रारंभिक परिणाम मनोबल बढ़ाने वाले हैं और इस तकनीक को आगे बढ़ाकर मेटाबॉलिक बीमारियों के इलाज में सहायता मिलेगी."
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