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This Article is From Feb 07, 2018

...तो इस वजह से भारतीय बच्चों को जल्दी लग रहा है चश्मा

आधे से अधिक भारतीय माता-पिता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके बच्चों को भविष्य में चश्मे की जरूरत होगी. 

...तो इस वजह से भारतीय बच्चों को जल्दी लग रहा है चश्मा
'धीमी रोशनी से बच्चों की आंखों को खतरा'
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
भारत समेत 12 देशों में हुआ सर्वे
61 फीसदी माता-पिता प्रभावित
ज्यादा समय बच्चे घरों के कृत्रिम प्रकाश में रहते हैं
नई दिल्ली: एक सर्वे के मुताबिक भारत के ज़्यादातर बच्चों को 12 घंटे से ज़्यादा कम रोशनी में रहना पड़ता है. इस वजह से उन्हें भविष्य में जल्दी चश्मा लगता है. 

अधिकांश भारतीय परिवारों का मानना है कि मद्धिम व अस्थिर रोशनी से उनके बच्चों की आखों की रोशनी प्रभावित हो सकती है. फिलिप्स लाइटिंग की ओर से जारी एक सर्वेक्षण के नतीजों में बताया गया है कि करीब 61 फीसदी माता-पिता इस बात से इत्तेफाक रखते हैं.

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भारत समेत 12 देशों में करवाए गए सर्वेक्षण के मुताबिक, भारत में बच्चों को विद्यालयों व घरों में औसतन 12 घंटे मद्धिम रोशनी में रहना पड़ता है. 

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आधे से अधिक भारतीय माता-पिता इस बात को लेकर चिंतित हैं कि उनके बच्चों को भविष्य में चश्मे की जरूरत होगी. 

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फिलिप्स लाइटिंग इंडिया के वाइस चेयरमैन व मैनेजिंग डायरेक्टर सुमित जोशी ने कहा, "चूंकि भारतीय बच्चे ज्यादा समय घरों के भीतर कृत्रिम प्रकाश में रहते हैं और स्कूल के कामकाज पर ध्यान केंद्रित रखते हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि उनको अच्छी रोशनी मिले, जो उनकी आंखों के लिए उपयुक्त हो."

सव्रेक्षण के नतीजों का विश्व स्वास्थ्य संगठन ने समर्थन किया है. संगठन का मानना है कि घरों से बाहर उजाले में ज्यादा समय व्यतीत करना स्वास्थ्यकर है.

INPUT - IANS

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