
हाल ही में एक रिसर्च में बात सामने आई थी कि अगर कोई दिन में 2 घंटे भी कार चलाता है तो उसे गंभीर बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है जिनमें बीपी, शुगर, रीढ़ की हड्डियों से संबंधित समस्याएं शामिल हैं. गौरतलब है कि महनगरों में ही नहीं, गांवों और कस्बों में भी कार चलाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है. लेकिन अब एक नया शोध सामने आया है, अगर आप यह सोचते हैं कि किसी भारी प्रदूषित सड़क पर अगर आप अपनी कार के अंदर हैं तो सुरक्षित हैं तो यह आपकी भूल है. एक नए अध्ययन के मुताबिक कार के केबिन में कुछ हानिकारक कणों की मात्रा अत्यधिक उच्च स्तर की होती है, जितना पहले अनुमान लगाया गया था, तकरीबन उसकी दोगुनी तक ज्यादा होती है. इस अध्ययन के निष्कर्ष में कारों के अंदर प्रदूषण का पता चला है, जिसमें उन रसायनों की मात्रा दो गुनी पाई गई जो ऑक्सीडेटिव तनाव पैदा करते हैं, जिससे श्वसन और हृदय रोग, कैंसर और कुछ प्रकार की न्यूरो-डीजेनेरेटिव बीमारियों सहित कई रोग पैदा होते हैं.
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नॉर्थ कैरोलिना के ड्यूक यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर माइकल बर्गिन ने कहा, "हमने पाया है कि भीड़भाड़ के दौरान सफर करने से स्वास्थ्य का जोखिम बढ़ जाता है.'
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एटमोसफेरिक इनवायरमेंट (वायुमंडलीय पर्यावरण) पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन में बताया गया कि प्रदूषण के कारण हमारे शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं और डीनए पर बुरा असर होता है. बर्गिन ने कहा, 'यात्रियों को अपनी ड्राइविंग की आदतों पर गंभीरता से पुनर्विचार करना चाहिए.'
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इनपुट : आईएनएस
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