
अल्जाइमर : पहचान के लिए जैविक तरीकों पर गौर करने की जरूरत
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दुनिया भर में 4.4 करोड़ लोग इससे प्रभावित
इस बीमारी की पहचान करने के लिए अरबों डॉलरों का खर्च
यह एक प्रोग्रेसिव, डिजेनेरेटिव मस्तिष्क रोग
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हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, "अल्जाइमर एक प्रोग्रेसिव, डिजेनेरेटिव मस्तिष्क रोग है जो याददाश्त, व्यवहार और सोच को उस लेवल तक प्रभावित करता है, जहां से पीड़ित अतीत की किसी भी घटना को याद करने में सक्षम नहीं हो पाता है."
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उन्होंने कहा, "उम्र के साथ याददाश्त कमजोर होना अकेले एक कारक नहीं है, बल्कि बढ़ती उम्र में व्यक्ति अपने मस्तिष्क का भरपूर प्रयोग नहीं करता जो इसका दूसरा प्रमुख कारण है. इसलिए ऐसे क्रियाकलापों में भाग लेकर दिमाग को सक्रिय रखना महत्वपूर्ण है जिनसे मन व शरीर को तेज रखने में मदद मिलती है. ऐसा करने पर मेमोरी लॉस नहीं होता है."
अल्जाइमर रोग हालांकि आम तौर पर 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में होता है, लेकिन यह 40 और 50 की उम्र के लोगों को भी प्रभावित कर सकता है. इस स्थिति को अर्ली-ऑनसेट अल्जाइमर कहते हैं.
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डॉ. अग्रवाल ने बताया, "बिना दवा वाली रणनीति हमेशा पहले ट्राई करनी चाहिए. बड़ी उम्र के रोगियों के लिए दवाएं सावधानी से तैयार की जानी चाहिए. इसमें दवा का विकल्प और उसे कितनी देर तक देना चाहिए, आदि बातों पर गौर करने की जरूरत है. कुछ अन्य चीजें जो ध्यान में रखनी चाहिए, वे हैं एक व्यक्ति के लक्षण और परिस्थितियां, खासकर टाइप-2 मधुमेह वाले लोगों के मामले में."
अल्जाइमर के जोखिम को कम करने के लिए टिप्स :
1. उचित वजन बनाए रखें, अपनी कमर की चैड़ाई जांचें.
2. सोच समझ कर खाएं, विटामिन युक्त सब्जियों और फलों पर जोर दें.
3. साबुत अनाज, मछली, लीन पोल्ट्री, टोफू और सेम व अन्य फलियां जैसे प्रोटीन स्रोतों से मिली स्वस्थ वसा पर ध्यान दें.
4. मिठाई, सोडा, सफेद ब्रेड या सफेद चावल, अस्वास्थ्यकर वसा, तले और फास्ट फूड, नासमझीपूर्ण स्नैकिंग जैसी अनावश्यक कैलोरी कम करें, अपनी थाली के साइज पर भी गौर करें, नियमित रूप से व्यायाम करें.
5. तेज चलने के लिए हर सप्ताह ढाई से 5 घंटे का लक्ष्य रखें, जॉगिंग जैसे व्यायाम करने की कोशिश करें, अपने कोलेस्ट्रॉल, ट्रायग्लिसराइड्स, रक्तचाप और ब्लड शुगर के आंकड़ों पर भी नजर रखें." (इनपुट - आईएएनएस)
मेमोरी लॉस के अलावा अल्जाइनर के और लक्षण :
1. आंखें कमज़ोर होना.
2. मूड में बहुत जल्द बदलाव आना.
3. रोज़ाना की अपनी मनोरंजक चीज़ों में मन ना लगना.
4. सोशल कामों में भी मन ना लगना, बाहर हो रही चीज़ों से कटना.
5. चीज़ों को जज ना कर पाना.
देखें वीडियो - अलज़ाइमर्स डिमेंशिया पीड़ितों की कैसे करें मदद
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