वो कहते हैं न कि हर इंसान की जिंदगी अलग है, उसकी परिस्थितियां अलग हैं और उनकी किस्मत भी अलग-अगल ही होती है. लेकिन फिर भी लड़कियों की लाइफ में कई बातें ऐसी हैं, जो कभी अगल नहीं होतीं. कुछ बातें हर लड़की को अपनी लाइफ में झेलनी पड़ती हैं. भले ही वह इन बातों से कितना ही भाग ले और कितनी ही बार इनके जवाब दे दे, लेकिन फिर भी गाहे बगाहे ये बातें सवालों की शक्ल में उसके सामने परोस दी जाती हैं. अक्सर लड़की होना हर लड़की को कई सवालों का जवाब देने पर मजबूर कर देता है. खासकर जब लड़की दिल्ली की हो... वह कितनी ही तरक्की क्यों न कर ले कुछ दकियानूसी सवाल उसका पीछा नहीं छोड़ते. कभी ये फैमिली में उठते हैं, तो कभी रिश्तेदारी में, कभी पड़ोस में तो कभी उसके खुद के कुछ दोस्त भी ऐसे सवाल कर बैठते हैं...
एक नजर उन सात बातों पर जो हर दिल्ली की लड़की को चाहते या न चाहते झेलने ही पड़ते हैं-
इतनी रात को बाहर
अगर वह रात को अपने दोस्तों के साथ कहीं बाहर पार्टी करने जाना चाहती है, तो यह सवाल उसके कानों तक जरूर पहुंचेगा. ' क्या इतनी रात को बाहर जाने की जरूरत है.' दिन में भी तो पार्टी की जा सकती है न. अब इस सवाल का क्या जवाब दें. नाइट पार्टी के अपने अलग मजे जो होते हैं...
अकेले घूमने जाओगी
भले ही आप अपनी और पांच दोस्तों के साथ कहीं ट्रिप का प्लान बना कर बैठी हों, लेकिन पड़ोस की वो आंटी ये जरूर बोलेंगी - '' क्या अकेले घूमने जाओगी.'' खैर आपको कोई जरूरत नहीं उनका गणित ठीक करने की और उन्हें यह समझाने की कि छह लोग अकेले कैसे हुए, अब अपनी ट्रिप पर ध्यान दें और मजे करें...
ढंग से बैठो
'ये क्या है, पैर खोल कर क्यों बैठी हो, ढंग से बैठो...' यह बात कभी किसी लड़की ने न सुनी हो यह मुझे तो असंभव सा लगता है. एक बात आज तक समझ नहीं आई कि बैठने का सही ढंग क्या होता है. कम से कम जब आप घर पर हैं तब तो अपनी मर्जी से बैठ ही सकती हैं, लेकिन नहीं वहां भी मां बेलन लेकर खड़ी हो जाती हैं...
ये क्या पहना है
जाने कौन-कौन आकर 'माई च्वॉइज' का भाषण तक दे चुका है, जाने कितने लोग पहनावे को लेकर सफाई देते हैं. लेकिन फिर भी यह सवाल वहीं का वहीं है- ' ये क्या पहना है' अरे भई वही पहना है जो मुझे पसंद है... चाहिए कोई और जवाब...
शादी कब कर रही हो
इस सवाल से तो हर लड़की को नफरत है. अरे भई मेरी शादी से किसी को क्या लेना देना, वो किसी की लाइफ को कैसे इफेक्ट कर सकती है. खासकर उन अंकल या आंटी की लाइफ को जो हमारे घर ही सालों में एक बार आते हैं या फिर बस फोन पर ही मां पापा से दोस्ती निभाते हैं...
धीरे बोला करो
क्या भई, आखिर तेज बोलने में क्या बुराई है. चलो ठीक है, लोग कहते हैं कि धीमा बोलना ठीक है, तो यह सलाह सिर्फ लड़कियों को ही क्यों दी जाती है...
क्या तुम ड्राइव कर लेती हो...
जाने लोग कब समझेंगे कि ड्राइविंग के लिए हाथ, पैर और आखों की जरूरत होती है. इसका इस बात से कोई मतलब नहीं कि शरीर लड़के का है या लड़की का. फिर भी किसी लड़की को ड्राइव करते हुए देख यही क्यों पूछा जाता है कि ' तुम ठीक से ड्राइव कर तो लेती हो न'...
एक नजर उन सात बातों पर जो हर दिल्ली की लड़की को चाहते या न चाहते झेलने ही पड़ते हैं-
इतनी रात को बाहर
अगर वह रात को अपने दोस्तों के साथ कहीं बाहर पार्टी करने जाना चाहती है, तो यह सवाल उसके कानों तक जरूर पहुंचेगा. ' क्या इतनी रात को बाहर जाने की जरूरत है.' दिन में भी तो पार्टी की जा सकती है न. अब इस सवाल का क्या जवाब दें. नाइट पार्टी के अपने अलग मजे जो होते हैं...
अकेले घूमने जाओगी
भले ही आप अपनी और पांच दोस्तों के साथ कहीं ट्रिप का प्लान बना कर बैठी हों, लेकिन पड़ोस की वो आंटी ये जरूर बोलेंगी - '' क्या अकेले घूमने जाओगी.'' खैर आपको कोई जरूरत नहीं उनका गणित ठीक करने की और उन्हें यह समझाने की कि छह लोग अकेले कैसे हुए, अब अपनी ट्रिप पर ध्यान दें और मजे करें...
ढंग से बैठो
'ये क्या है, पैर खोल कर क्यों बैठी हो, ढंग से बैठो...' यह बात कभी किसी लड़की ने न सुनी हो यह मुझे तो असंभव सा लगता है. एक बात आज तक समझ नहीं आई कि बैठने का सही ढंग क्या होता है. कम से कम जब आप घर पर हैं तब तो अपनी मर्जी से बैठ ही सकती हैं, लेकिन नहीं वहां भी मां बेलन लेकर खड़ी हो जाती हैं...
ये क्या पहना है
जाने कौन-कौन आकर 'माई च्वॉइज' का भाषण तक दे चुका है, जाने कितने लोग पहनावे को लेकर सफाई देते हैं. लेकिन फिर भी यह सवाल वहीं का वहीं है- ' ये क्या पहना है' अरे भई वही पहना है जो मुझे पसंद है... चाहिए कोई और जवाब...
शादी कब कर रही हो
इस सवाल से तो हर लड़की को नफरत है. अरे भई मेरी शादी से किसी को क्या लेना देना, वो किसी की लाइफ को कैसे इफेक्ट कर सकती है. खासकर उन अंकल या आंटी की लाइफ को जो हमारे घर ही सालों में एक बार आते हैं या फिर बस फोन पर ही मां पापा से दोस्ती निभाते हैं...
धीरे बोला करो
क्या भई, आखिर तेज बोलने में क्या बुराई है. चलो ठीक है, लोग कहते हैं कि धीमा बोलना ठीक है, तो यह सलाह सिर्फ लड़कियों को ही क्यों दी जाती है...
क्या तुम ड्राइव कर लेती हो...
जाने लोग कब समझेंगे कि ड्राइविंग के लिए हाथ, पैर और आखों की जरूरत होती है. इसका इस बात से कोई मतलब नहीं कि शरीर लड़के का है या लड़की का. फिर भी किसी लड़की को ड्राइव करते हुए देख यही क्यों पूछा जाता है कि ' तुम ठीक से ड्राइव कर तो लेती हो न'...
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