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Success Story: रेगिस्तान की बेटी ने रचा इतिहास, दो बेटियों को संभालते हुए सरिता लीलड़ बनीं NCC लेफ्टिनेंट

Success Story: एक प्रेरणादायी कहानी है बाड़मेर के ग्रामीण परिवेश से निकली सरिता लीलड़ की जो, दो बेटियों की मां हैं, इसके बावजूद उन्होंने वो कर दिखाया जो लोग कर नहीं पाते.

Success Story: रेगिस्तान की बेटी ने रचा इतिहास, दो बेटियों को संभालते हुए सरिता लीलड़ बनीं NCC लेफ्टिनेंट
नई दिल्ली:

Success Story: राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में कभी बेटियों को बोझ माना जाता था, लेकिन आज वही बेटियां अपनी मेहनत और जज़्बे से न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रही हैं. ऐसी ही एक प्रेरणादायी कहानी है बाड़मेर के ग्रामीण परिवेश से निकली सरिता लीलड़ की, जिन्होंने असंभव को संभव कर दिखाया. सरिता ने न सिर्फ MBC गर्ल्स कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अपनी पहचान बनाई, बल्कि ग्वालियर की ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (OTA) में कठिन सैन्य प्रशिक्षण पूरा कर भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट और एसोसिएट NCC ऑफिसर (ANO) का गौरवपूर्ण पद भी हासिल किया.

कठिनाइयों से भरा सफर, दृढ़ संकल्प से मिली मंजिल

सरिता की यह उपलब्धि कोई संयोग नहीं, बल्कि उनकी कड़ी मेहनत, लगन और दृढ़ संकल्प का नतीजा है. ट्रेनिंग के पहले दिन वह थकान के कारण बेहोश हो गई थीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. सरिता ने बताया, "उस पल मैंने ठान लिया कि अब मैं कभी नहीं थकूंगी." इसके बाद उन्होंने वेपन हैंडलिंग, बैटल क्राफ्ट, फील्ड क्राफ्ट, CPR जैसी तकनीकी और सामाजिक गतिविधियों में महारत हासिल की. इस प्रशिक्षण ने उन्हें न केवल शारीरिक रूप से मजबूत किया, बल्कि मानसिक दृढ़ता भी प्रदान की.

बेटियों के लिए प्रेरणा, NCC के जरिए नया मुकाम

दो बेटियों की मां सरिता का सपना है कि बाड़मेर की बेटियां भी NCC के माध्यम से अनुशासन, देशभक्ति और आत्मविश्वास सीखें. वह चाहती हैं कि उनकी सीख और अनुभव से उनकी छात्राएं अपने करियर में नई ऊंचाइयां छू सकें. सरिता कहती हैं, "मैं चाहती हूं कि मेरी बेटियां और मेरे कॉलेज की सभी बच्चियां अपने सपनों को सच करने का साहस दिखाएं." 

ससुर को सैल्यूट, परिवार का अटूट समर्थन

ट्रेनिंग के दौरान सरिता को अपनी बेटियों से दूर रहना पड़ा. कई बार बच्चों की याद में उनकी आंखें नम हो गईं, लेकिन परिवार के समर्थन ने उन्हें हिम्मत दी. ट्रेनिंग पूरी कर लौटने के बाद सरिता ने सबसे पहले अपने ससुर को सैल्यूट किया. वह कहती हैं, "यह सैल्यूट उनका हक था. उन्होंने हमेशा मुझ पर भरोसा किया और मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया." 

रेगिस्तान की बेटियों के लिए प्रेरणा बनीं सरिता

सरिता की यह उपलब्धि बाड़मेर ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान और देश की उन सभी बेटियों के लिए एक मिसाल है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहती हैं. उनकी कहानी सिखाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी अगर हौसला और मेहनत साथ हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं. सरिता लीलड़ आज न केवल एक शिक्षिका, एक सैन्य अधिकारी और एक मां हैं, बल्कि लाखों बेटियों के लिए एक प्रेरणा भी हैं, जो अपने दम पर रेगिस्तान से निकलकर आकाश छूने का सपना देखती हैं.

रिपोर्ट - भूपेश आचार्य

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