देश भर के नामी शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कोरोनावायरस (Coronavirus) के खिलाफ मुहिम में बेरोजगार विज्ञान स्नातकों की भर्ती करने और संक्रमण के संदिग्ध लोगों की जांच करने में जीव विज्ञान प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया है.
इस संबंध में 20 अप्रैल को एक पत्र प्रधानमंत्री को भेजा गया है. 'इंडिया मार्च फॉर साइंस' मंच के तहत लिखे गए इस पत्र पर देशभर के 600 से ज्यादा वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों और शोधार्थियों के दस्तखत हैं.
'इंडिया मार्च फॉर साइंस' की कोलकाता आयोजन समिति ने मंगलवार को जारी विज्ञप्ति में इसकी जानकारी दी है.
संगठन के एक सदस्य ने बताया कि दस्तखत करने वालों में अधिकतर पश्चिम बंगाल में विभिन्न संस्थानों के हैं या राज्य के लोग हैं, जो देश भर में अलग-अलग संस्थानों में काम करते हैं.
पत्र में उन्होंने सुझाव दिया है कि बेरोजगार विज्ञान स्नातकों की भर्ती कर उन्हें कोरोनावायरस महामारी के खिलाफ मुहिम में तैनात करने के लिए प्रशिक्षित करना चाहिए. संस्थानों में जीव विज्ञान की प्रयोगशालाओं का इस्तेमाल नमूनों की जांच करने के लिए भी कहा गया है.
वैज्ञानिकों ने वेंटिलेटर का उत्पाादन भी बढ़ाने का आह्वान किया है.
पत्र में कहा गया है, "वेंटिलेटर के अपेक्षाकृत कुछ सस्ते किस्म की डिजाइन की व्यवस्था की जा सकती है और भारतीय दवा कंपनियों और अन्य निर्माताओं को देश की जरूरतें पूरी करने के लिए बड़े स्तर पर इसका उत्पादन करना चाहिए."
विज्ञप्ति के मुताबिक, विभिन्न संस्थानों के संकाय सदस्यों और छात्रों ने मौजूदा संकट के दौरान अपनी सेवाएं भी देने की इच्छा प्रकट की है.
आईआईएसईआर कोलकाता के प्रोफेसर सौमित्र बनर्जी, भारतीय सांख्यिकी संस्थान के प्रोफेसर अलादी सीताराम, एस एन बोस नेशनल सेंटर फॉर बेसिक साइंसेज-कोलकाता के देवाशीष मुखर्जी, कलकत्ता विश्वविद्यालय से परूंगमा सेन, आईआईटी खड़गपुर से अनुपम बसु और यादवपुर विश्वविद्यालय से देवव्रत बेरा समेत अन्य लोगों ने इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं.
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