बदलती लाइफ स्टाइल और खानपान की आदतें लोगों की बॉडी में जरूरत से ज्यादा फैट जमा कर रही हैं. शरीर का वजन घटाने और फैट कम करने के लिए कुछ लोग हेल्दी लाइफ स्टाइल अपनाते हैं. घंटों वर्कआउट करते हैं. इससे फायदा भी मिलता है. वहीं, कुछ लोग कम समय में रिजल्ट पाने की इच्छा में वेट लॉस या फैट लॉस के लिए सर्जरी का सहारा लेते हैं. लेकिन ऐसी सर्जरी ज्यादातर फेल हो जाती है. दवाओं के साइड इफेक्ट के चलते जान भी जा सकती है. ऐसा ही कुछ पुणे में एक इंजीनियर महिला के साथ हुआ. 84 किलो वजन वाली उज्जवला कांबले पिछले 2 साल से बिस्तर पर पड़ी हैं. उन्होंने डॉक्टरों की सलाह पर फैट लॉस के लिए लिपोसक्शन (Liposuction) सर्जरी कराई थी. ये सर्जरी फेल हो गई और उनके शरीर में साइड इफेक्ट दिखने लगे.
उज्जवला के साथ क्या हुआ?
उज्जवला कांबले एक जानी-मानी आईटी कंपनी में क्वालिटी इंजीनियर थीं. उनका 32 लाख सालाना का पैकेज था. उनके पति भी इंजीनियर हैं. सीटिंग जॉब और अनहेल्दी लाइफ स्लाइल की वजह से उनका वजन तेजी से बढ़ने लगा था. वर्कआउट और वॉक से कोई फायदा नहीं दिख रहा है. 84 किलो वजन होने के बाद उज्जवला कांबले ने आखिरकार फैट लॉस और वेट लॉस के लिए सर्जरी कराने का फैसला किया.
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उन्होंने इसके लिए पुणे के येरंडवाने स्थित डिज़ायर क्लिनिक से संपर्क किया. 16 अक्टूबर, 2022 को उनकी लिपोसक्शन सर्जरी हुई. इस दौरान उनके शरीर से करीब साढ़े चार लीटर चर्बी निकाली गई. लेकिन सर्जरी के तुरंत बाद उज्जवला कांबले की हालत बिगड़ने लगी. स्थिति ऐसी हो गई कि उन्हें तुरंत एक प्राइवेट हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा.
इलाज पर खर्च हो गए 70 लाख रुपये
प्राइवेट हॉस्पिटल में उज्जवला कांबले के इलाज पर 70 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं. इलाज के पैसे के लिए गहने, लग्जरी कार तक बेचना पड़ा. लेकिन उज्जवला की हालत में कोई सुधार नहीं आया. वो 2 साल से बेड पर हैं.
सर्जरी करने वाले डॉक्टरों पर केस दर्ज
उज्जवला के पति बीरेंद्र कुमार शर्मा ने पुणे के डेक्कन थाने में डॉ. प्रशांत यादव और डॉ. स्वप्निल नागे के खिलाफ केस दर्ज किया है. ससून अस्पताल की रिपोर्ट के आधार पर दोनों डॉक्टरों पर केस दर्ज किया गया. दरअसल, सर्जरी के दौरान उज्जवला को एनेस्थीसिया देने के बाद उनका पल्स रेट और ब्लड प्रेशर कम हो गया. ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी की वजह से उनका ब्रेन डैमेज हो गया था.
आइए जानते हैं क्या होती है लिपोसक्शन सर्जरी और फैट लॉस की चाहत में इस सर्जरी को कराने से क्या हो सकते हैं साइड इफेक्ट:-
क्या होती है लिपोसक्शन सर्जरी?
लिपोसक्शन कम समय में मोटापा कम करने की टेक्नोलॉजी है. इसमें शरीर के अलग-अलग पार्ट से एक्स्ट्रा फैट को बाहर निकालकर शरीर को स्लिम बनाया जाता है. इस सर्जरी में जांघों, कूल्हों, पेट, गर्दन, ठोढ़ी, कंधों, छाती और कमर से फैट यानी चर्बी निकाली जाती है.
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सर्जरी में लगता है कितना वक्त?
एक लिपोसक्शन सर्जरी में आमतौर पर आधे से एक घंटे का समय लगता है. सर्जरी के बाद मरीज 5 से 7 दिनों में अपने डेली रूटीन में लौट सकता है. हालांकि, उसे पूरी तरह ठीक होने में 4-6 हफ्ते लग जाते हैं.
लिपोसक्शन सर्जरी कैसे होती है?
-इस सर्जरी के कई प्रोसेस होते हैं. इसे एक अनुभवी प्लास्टिक सर्जन करता है. सर्जरी से पहले क्लाइंट की मेडिकल हिस्ट्री चेक की जाती है.
-सर्जरी से कम से कम एक हफ्ते पहले क्लाइंट को थिनर देकर उसके खून को पतला किया जाता है.
-इस दौरान नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स, हर्बल मेडिसीन को बंद करने की सलाह दी जाती है.
-सर्जरी शुरू करने से पहले सर्जन ब्लड टेस्ट के बाद क्लाइंट को एनेस्थीसिया देते हैं. जिसकी वजह से मरीज को इस सर्जरी के दौरान जरा भी दर्द या दूसरी परेशानी नहीं होती है.
-फिर सर्जन सर्जरी वाली जगह पर एक कट लगाते हैं. इस कट के जरिए एक कैनुला ट्यूब अंदर डाला जाता है. कैनुला एक पतली ट्यूब है, जिसे शरीर में नसों के जरिए इंजेक्ट किया जाता है.
-कैनुला शरीर के हिस्से में मौजूद एक्स्ट्रा फैट को ढीला करता है. फिर सर्जिकल वैक्यूम या सिरिंज की मदद से फैट को बाहर निकाला जाता है.
- इस सर्जरी के बाद मरीज को अस्पताल में रहने की जरूरत नहीं है.
सर्जरी में आता है कितना खर्च?
सर्जन की प्रतिष्ठा और प्रक्रिया की जटिलता के आधार पर लिपोसक्शन कराने का खर्च 30,000 से 150,000 या इससे ज्यादा भी हो सकता है.
सर्जरी के क्या होते हैं साइड इफेक्ट?
लिपोसक्शन सर्जरी के कुछ साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं:-
-कट वाली जगह पर घाव हो सकते हैं.
- त्वचा का रंग खराब हो सकता है. डिंपल या गड्ढे पड़ सकते हैं.
-किडनी और हार्ट रिलेटेड दिक्कतें हो सकती हैं.
-सर्जरी के बाद फेफड़ों में फैट जमा हो सकता है.
-स्किन इंफेक्शन का खतरा बना रह सकता है.
-हाथ-पैर सुन्न हो सकते हैं.
-कई मामलों में ब्रेन डैमेज हो सकता है. ब्लड क्लॉट हो सकता है.
-लिपोसक्शन कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है. इससे डीप वेन थ्रोम्बोसिस का खतरा हो सकता है. डीप वेन थ्राम्बोसिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर में कहीं किसी एक नस के अंदर खून का थक्का बन जाता है.
-इसी तरह पल्मोनरी थ्रोम्बोम्बोलिज्म होने पर लिपोसक्शन जानलेवा है. इसमें फेफड़ों के ब्लड वेसेल्स में क्लॉटिंग आ जाती है.
सर्जरी के बाद किन बातों का रखना चाहिए ध्यान?
-सर्जरी के बाद अच्छी लाइफस्टाइल फॉलो करनी चाहिए.
-अच्छा डाइट लेना चाहिए. अच्छी नींद लेनी चाहिए.
-कुछ समय तक ज्यादा काम नहीं करना चाहिए.
-स्विमिंग या मांसपेशियां खिंचने वाली एक्सरसाइन नहीं करनी चाहिए. भारी वजन उठाने से बचना चाहिए.
-खाने में अच्छी मात्रा में प्रोटीन और विटामिन्स लेने चाहिए.
-खाने में नमक का इस्तेमाल कम करना चाहिए, क्योंकि नमक से कट वाली जगह पर सूजन बढ़ सकती है.
-पानी में देर तक भीगने से बचना चाहिए. इससे इंफेक्शन का खतरा रहता है.
किन लोगों को लिपोसक्शन सर्जरी नहीं करानी चाहिए?
-जो लगातार स्मोकिंग करते हैं, उन्हें इस सर्जरी से दूर रहना चाहिए.
-जिन लोगों को कार्डियक अरेस्ट आया हो या दिल से जुड़ी कोई बीमारी है, उन्हें भी ये सर्जरी नहीं करानी चाहिए.
-जिन्हें लिवर प्रॉब्लम हो, उनके लिए ये सर्जरी नहीं है.
-अगर आपको थोड़े से कट में भी तेज ब्लीडिंग होती है, तो ऐसी सर्जरी बिल्कुल न कराएं.
-शुगर पेशेंट और किडनी पेशेंट को भी ऐसी सर्जरी नहीं कराने की सलाह दी जाती है.
-अगर आपको किसी तरह की एलर्जी है, तो ऐसी सर्जरी से दूर रहिए.
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