हमें आम लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य से जुड़ी चिंता : वेदांता के स्‍टरलाइट प्‍लांट फिर से खोलने की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट

CJI  ने कहा कि अगर हम इसे खुद पर लेते हुए तमिलनाडु हाईकोर्ट के आदेश को नकारते हैं और तीन साल बाद हमें पता चलता है कि प्लांट में खतरनाक रिसाव है तो नैतिक जिम्मेदारी की कल्पना करें. 

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम लोगों की चिंताओं और चुनौतियों से बेखबर नहीं रह सकते हैं. (फाइल)
नई दिल्‍ली:

तमिलनाडु (Tamil Nadu) के तुतीकोरीन में वेदांता कॉपर स्टरलाइट प्लांट (Vedanta Copper Sterlite Plant) को फिर से खोलने की अर्जी पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़ी व्यापक चिंताओं का अंदाजा है. हमें ये भी देखना होगा कि कारखाना खुलने से लोगों की सेहत पर क्या असर होगा. वे सभी लोग यहां नहीं आ सकते हैं, लेकिन हम उनकी चिंताओं और चुनौतियों से बेखबर नहीं रह सकते हैं. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने वेदांता की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. 

सुनवाई के दौरान वेदांता के वकील श्याम दीवान ने कहा कि इस प्लांट को 2007 में पर्यावरण की मंजूरी मिली थी. किसी ने उसे चुनौती भी नहीं दी. पीठ ने कहा कि हम यह निर्देश नहीं दे सकते हैं कि आप आज ही कामकाज शुरू कर दें, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि एक विशेषज्ञ पैनल आपके सामने शर्तें रखे ताकि जन स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरे इस उद्योग को कैसे शुरू किया जा सके, जैसे कि आप एक निश्चित राशि जमा करें जिससे आप पर्यावरणीय सुरक्षा उपाय सुनिश्चित कर सकें. उसके बाद यानी चिंताओं को संतुष्ट करके आप शुरुआत करें.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम हाईकोर्ट के निर्णय में भी गलती नहीं ढूंढना चाहते हैं. अगर वेदांता उत्पादन के लिए आवेदन करता है तो वे बंद होने की परिस्थिति से अलग जाकर आज उद्योग की स्थिति देखनी होगी. आप पूरी तरह से हाईकोर्ट को दोष नहीं दे सकते हैं. विशेषज्ञ समिति के अधिकार को भी प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि हम इसमें सख्त प्रशासनिक कानून का नजरिया भी नहीं रख सकते हैं. 

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CJI  ने कहा कि अगर हम इसे खुद पर लेते हुए तमिलनाडु हाईकोर्ट के आदेश को नकारते हैं और तीन साल बाद हमें पता चलता है कि प्लांट में खतरनाक रिसाव है तो नैतिक जिम्मेदारी की कल्पना करें. 

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वेदांता की ओर से सुप्रीम कोर्ट में ये कहा गया  

श्याम दीवान ने कहा कि तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, वन और पर्यावरण मंत्रालय, NEERI, वेदांता सहित अन्य विशेषज्ञों की  समिति बनाने पर विचार किया जाए. सुप्रीम कोर्ट के कोई सेवानिवृत्त न्यायाधीश समिति का नेतृत्व कर सकते हैं और समिति एक महीने के भीतर एक रिपोर्ट दे सकती है कि क्या वेदांता अतिरिक्त और  पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों के साथ तांबा स्मेल्टर संयंत्र को फिर से शुरू कर सकता है? 

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त‍मिलनाडु सरकार ने किया वेदांता की दलीलों का विरोध 

वहीं तमिलनाडु सरकार के वकील सीएस वैद्यनाथन ने दीवान की दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि एक के बाद एक कई समिति को प्रदूषण के सबूत मिले हैं. यह एक अत्यधिक प्रदूषणकारी उद्योग है. इसी अदालत ने माना है कि आर्थिक हितों के लिए पर्यावरण संरक्षण हितों की कुर्बानी नहीं दी जाएगी. 

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CJI ने कहा  कि राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रूप में भी आप स्लैग और जिप्सम को हटाने में सक्षम नहीं हैं, क्यों, ऐसा ही है ना? जब तक आप प्रोत्साहन के कुछ कार्य नहीं करते हैं, आपका स्लैग या जिप्सम दूर नहीं होगा. एक समिति शर्तें तय कर सकती है और यदि शर्तें पूरी नहीं हुईं तो समिति इसके संचालन की सिफारिश नहीं करेगी. सुनवाई गुरुवार को भी जारी रहेगी. 

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