भारत के सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहरों की लिस्ट हुई जारी, और अव्वल है यह शहर...

CPCB के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को दिल्ली का AQI 354 रहा, जबकि नोएडा का AQI 328 दर्ज हुआ. ग़ाज़ियाबाद में AQI का स्तर 304 रहा, और बेगूसराय (बिहार), बल्लभगढ़ (हरियाणा), फरीदाबाद (हरियाणा), कैथल (हरियाणा), गुरुग्राम (हरियाणा) और ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के नाम भी सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार हुए.

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CPCB के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को दिल्ली का AQI 354 रहा...
नई दिल्ली:

इस साल, यानी 2022 में वायु प्रदूषण के हालात पहले से ज़्यादा खराब हो गए हैं. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, यानी Central Pollution Control Board या CPCB द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, सोमवार, यानी 7 नवंबर, 2022 को भारत के कुल 163 शहरों में से बिहार के कटिहार में AQI (एयर क्वालिटी इन्डेक्स) सबसे ज़्यादा 360 पर था.

आंकड़ों के अनुसार, सोमवार को दिल्ली का AQI 354 रहा, जबकि नोएडा का AQI 328 दर्ज हुआ. ग़ाज़ियाबाद में AQI का स्तर 304 रहा, और बेगूसराय (बिहार), बल्लभगढ़ (हरियाणा), फरीदाबाद (हरियाणा), कैथल (हरियाणा), गुरुग्राम (हरियाणा) और ग्वालियर (मध्य प्रदेश) के नाम भी सबसे ज़्यादा प्रदूषित शहरों में शुमार हुए.

ये आंकड़े आंखें खोल देने वाले हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (Indian Agricultural Research Institute या IARI) के मुताबिक, बुधवार को पंजाब में पराली जलाने की 3,634 घटनाएं दर्ज हुई थीं, जो पूरे साल में अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है.

वाहनों से निकलने वाले धुएं से बचने के लिए दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के मुख्यमंत्रियों से आग्रह किया था कि गैर-ज़रूरी सामान लाने वाले ट्रकों को पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर भेज देने के लिए कदम उठाएं, ताकि दिल्ली की सीमाओं पर ट्रैफिक जाम से बचा जा सके.

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (Ministry of Earth and Sciences) के तहत काम करने वाली एजेंसी सफर (Forecasting Agency Safar) के मुताबिक, दिल्ली के PM2.5 प्रदूषण में पराली जलने की घटनाओं का योगदान ट्रांसपोर्ट-लेवल हवाओं के चलते शुक्रवार के 30 फीसदी से घटकर शनिवार को 21 फीसदी रह गया था.

ट्रांसपोर्ट-लेवल हवाएं पर्यावरण के निचले दो स्तरों - ट्रॉपोस्फियर तथा स्ट्रैटोस्फियर - में चलती हैं, और पराली जलने से उठने वाले धुएं को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक लाती हैं.

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एयर क्वालिटी इन्डेक्स (AQI) में PM2.5 के तहत एकत्रित हुए 2.5 माइक्रॉन से भी छोटे बारीक प्रदूषण कणों को मापा जाता है, जो सीधे खून में मिल सकते हैं, और फेफड़ों तथा दिल तक पहुंच सकते हैं, जिनकी वजह से सांस लेने में दिक्कतों संबंधी समस्याएं जन्म लेती हैं.

यह प्रदूषित हवा न सिर्फ स्वस्थ फेफड़ों को प्रभावित करती है, बल्कि यह भी पाया गया है कि सांस की बीमारी से जूझ रहे लोगों की इससे असमय मृत्यु भी हो सकती है. ग्रीनपीस (Greenpeace) के अनुसार, वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण के चलते 12 लाख भारतीयों की असमय ही मृत्यु हुई थी.

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