देश में चुनाव के समय अलग-अलग राज्यों की सरकार जनता को लुभाने के लिए कई रेवड़ियां यानी फ्री बी बांटने का ऐलान करती है. आम मतदाताओं तक पहुंचने के लिए तमाम राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से अलग-अलग की तरह की घोषणाएं करती है. कोई महिलाओं को हर महीने 1000 रुपये देने की बात करता है तो कई सत्ता में आने पर महिलाओं को 2500 रुपये तक देने की बात करता है. अलग-अलग राजनीतिक दल अलग-अलग आयु वर्गे के हिसाब से अलग-अलग रेवड़ियों की घोषणाएं करती रही है. इसे लेकर चुनाव से पहले और चुनाव के बाद तमाम तरह की बहस भी हुई है. कई राजनीतिक दल इसे जनता के वेलफेयर से जोड़कर देखते हैं तो कई इसे पैसे की बर्बादी बताते हैं. अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने पहली बार राज्यों की सरकारों को फटकार लगाई है. ये फटकार एक दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान लगाई गई है.
कोर्ट ने क्या कुछ कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने जजों के वेतन और पेंशन के मामले की सुनवाई के दौरान मंगलवार को बड़ी टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा था कि राज्यों के पास ऐसे लोगों को मुफ्त में देने के लिए पर्याप्त पैसे हैं, जो लोग काम नहीं करते हैं लेकिन जिला कोर्ट के जजों को वेतन और पेंशन देने को लेकर उनके सामने वित्तीय संकट खड़ा हो जाता है. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ ने भारत के अटॉर्नी जनरल (एजी) आर वेंकटरमनी की दलील के जवाब में ये टिप्पणी की थी.
एजी का कहना था कि न्यायिक अधिकारियों के वेतन और सेवानिवृत्ति लाभों पर फैसला लेते समय सरकार को वित्तीय बाधाओं पर विचार करना होगा. सुनवाई के दौरान दिल्ली में चुनाव से पहले राजनीतिक दलों के वादों का भी हवाला दिया गया. जस्टिस गवई ने महाराष्ट्र की लाडली बहन योजना का भी हवाला दिया है. जस्टिस गवई ने मामले की महाराष्ट्र सरकार द्वारा लाडली-बहना योजना और राष्ट्रीय राजधानी में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा किए गए हाल के वादों का हवाला दिया.
फ्रीबीज पर चुनाव आयुक्त ने क्या कुछ कहा?
दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान को लेकर चुनाव आयोग ने मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. ये प्रेस वार्ता तो थी दिल्ली में चुनाव की तारीखों के ऐलान को लेकर लेकिन इस बीच चुनाव आयुक्त ने चुनाव के दौरान फ्रीबीज यानी रेवड़ियों को लेकर भी अपनी चिंता व्यक्त कर दी. कल दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान करते वक्त मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने भी फ्रीबीज पर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था कि रेवड़ियों को लेकर हमारे हाथ बंधे हुए हैं. ये अर्थशास्त्र का विषय है. हालांकि उन्होंने इस दौरान कहा कि हम एक परफॉर्मा ला रहे हैं.इसके तहत हर राजनीतिक पार्टी को जनता को बताना होगा कि जो वादे किए जा रहे हैं उसके लिए पैसे कहां से लाए जाएंगे.