खान मार्केट के पास किराए पर रह रहे अफसरों के आवास खाली करने के मामले में केंद्र को SC से राहत

दरअसल, 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में CJI एन वी रमना की बेंच उस समय हैरान हो गई थी जब केंद्र सरकार ने बताया कि खान मार्केट के पास किराए पर रह रहे सरकारी अधिकारियों के आवास खाली करने को एक कंपनी ने बाउंसर भेज दिए हैं.

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सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के बेदखली के आदेश पर लगाई रोक
नई दिल्ली:

खान मार्केट के पास किराए पर रह रहे सरकारी अधिकारियों के आवास खाली करने के मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के बेदखली के आदेश पर रोक लगा दी है. केंद्र की याचिका पर प्राइवेट कंपनी को नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश के दिन से यथास्थिति बरकरार रहेगी. सुप्रीम कोर्ट परीक्षण करेगा कि बेदखली का आदेश कानून में सही है या नहीं. केंद्र ने आरोप लगाया है कि कंपनी की ओर से घर खाली कराने के लिए सरकारी अफसरों के घर बाउंसर भेजे जा रहे हैं . 

सुनवाई के दौरान जस्टिस हेमंत गुप्ता की बेंच के सामने केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगानी होगी क्योंकि वे बाउंसर भेज रहे हैं. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने भी कहा-  हां, आदेश पर रोक लगानी होगी. सर शोभा सिंह एंड संस के लिए मनिंदर सिंह ने इसका विरोध किया. सरकार पर भारी बकाया है. कृपया नोटिस जारी न करें, हम जवाब दाखिल करेंगे.  

दरअसल 25 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में CJI एन वी रमना की बेंच उस समय हैरान हो गई थी जब केंद्र सरकार ने बताया कि खान मार्केट के पास किराए पर रह रहे सरकारी अधिकारियों के आवास खाली करने को  एक कंपनी ने बाउंसर भेज दिए हैं. ये बात सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस को बताई तो उन्होंने भी इस पर अचरज जताया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वो केंद्र की अर्जी पर सुनवाई करेंगे.

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अपनी अर्जी पर जल्द सुनवाई की मांग करते हुए SG ने कहा था कि सर सोभा सिंह एंड संस प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों ने सुजान सिंह पार्क में रहने वाले सरकारी अधिकारियों से आवास खाली कराने को कई बार बाउंसर भेजे. पहले से ही कई सरकारी अधिकारियों की कॉलोनियों में विकास कार्य चालू रहने से आवास का संकट है. वहां आवास तैयार होते ही सरकार के ये आला अधिकारी सुजान सिंह पार्क के घर खाली कर सरकारी आवास में चले जाएंगे. ऐसे में बाउंसर भेज कर अधिकारियों को परिवार सहित प्रताड़ित करना दुर्भाग्यपूर्ण है . दरअसल,  एडिशनल रेंट कंट्रोल ट्रिब्यूनल ने बकाया किराया भुगतान का आदेश सरकार को दिया था. केंद्र ने इसे दिल्ली हाईकोर्ट में चुनौती दी थी . जिसने केंद्र की अर्जी खारिज कर दी थी , अब केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है.

यह विवाद बहुत पुराना है. 1994 में गवर्नर जनरल इन काउंसिल (लेसर) द्वारा सरदार बहादुर सर शोभा सिंह एंड संस प्रा. लिमिटेड के साथ उत्तर और दक्षिण सुजान पार्क, नई दिल्ली में स्थित दो भूखंडों के लिए इस सहमति पर लीज की थी कि 50% तक फ्लैट सरकार को मामूली दरों पर किराए पर दिए जाएंगे . 

सर शोभा सिंह एंड संस प्रा. लिमिटेड  ने भारत सरकार को दिनांक 14.01.1991 को एक नोटिस दिया था जिसमें उनसे 2 महीने की अवधि के भीतर किराया बकाया (1989 से) का भुगतान करने को कहा गया था . इसके बाद, इसने एक बेदखली याचिका दायर की, जिस पर ARC ने दिनांक 08.07.2004 को एक आदेश पारित किया, जिसमें 1 महीने की अवधि के भीतर केंद्र सरकार को किराए के भुगतान के लिए कहा गया.  इसके अलावा, ARC ने उत्तर और दक्षिण सुजान सिंह पार्क, नई दिल्ली में स्थित 5 सिंगल बेड रूम फ्लैट, 9 डबल बेड रूम फ्लैट, 39 सर्वेंट क्वार्टर और 25 गैरेज के संबंध में दिनांक 14.02.2005 को बेदखली का आदेश पारित किया. आदेशों के खिलाफ अतिरिक्त किराया नियंत्रण ट्रिब्यूनल, दिल्ली के समक्ष दायर अपील भी खारिज कर दी गई.  

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जब सरकार द्वारा दायर याचिका पर  सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले को ट्रिब्यूनल में वापस भेज दिया गया, तो ट्रिब्यूनल ने ARC के फैसले की पुष्टि करते हुए आदेश के निष्पादन को छह महीने की अवधि के लिए निलंबित कर दिया. बशर्ते कि सरकार ब्याज और लागत के साथ वसूली योग्य किराए का बकाए का भुगतान करे . इसके बाद याचिकाकर्ता ने ट्रिब्यूनल द्वारा पारित आदेश दिनांक 01.09.2007 के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट  के समक्ष एक अपील दायर की, जिसे इस निर्देश के साथ खारिज कर दिया गया कि आदेश का निष्पादन 31.12.2020 तक के लिए रोक दिया गया, बशर्ते याचिकाकर्ता की भुगतान शर्तों का अनुपालन हो. 

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