झारखंड सरकार और हेमंत सोरेन की याचिका पर सुनवाई करने को तैयार सुप्रीम कोर्ट, जानें क्या है पूरा मामला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस विचार से हैं कि न्याय के हित में ये जरूरी है कि चीफ जस्टिस की अगुवाई में हाईकोर्ट पहले ये तय करे कि जांच की मांग करने वाली याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं. 

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नई दिल्ली:

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ खनन लीज में अनियमितता और लॉन्ड्रिंग की जांच याचिका के खिलाफ जल्द सुनवाई की मांग की गई है. झारखंड सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सुप्रीम कोर्ट से जल्द सुनवाई की मांग करते हुए झारखंड हाईकोर्ट के याचिका पर सुनवाई जारी रखने के फैसले को चुनौती दी है. साथ ही हाईकोर्ट में सुनवाई पर रोक की मांग की है. 

इधर, CJI ने भरोसा दिलाया कि वो मामले को लिस्ट करेंगे. झारखंड सरकार की ओर से कपिल सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 29 जुलाई को तय की है, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई इससे पहले हो. उन्होंने कहा कि ये जानते हुए भी कि सरकार ने हाईकोर्ट की याचिका के सुनवाई योग्य ठहराने वाले फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है, हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करने का फैसला किया है. हाईकोर्ट का कहना है कि वो मामले का निपटारा करेगा.

दरअसल, हाईकोर्ट का झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ शेल कंपनियों के जरिए मनी लॉड्रिंग करने और खनन पट्टों में अनियमितता की जांच कराने वाली जनहित याचिका को सुनवाई योग्य मानने के फैसले के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है. प्रवर्तन निदेशालय द्वारा सीलबंद लिफाफे में याचिका को स्वीकार किए बिना रिपोर्ट देने के खिलाफ झारखंड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया था.

मामले में 24 मई को सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट को पहले याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं, यह तय करने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट को पहले ये सुनवाई करने को कहा कि जांच की मांग करने वाली PIL सुनवाई योग्य है या नहीं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस विचार से हैं कि न्याय के हित में ये जरूरी है कि चीफ जस्टिस की अगुवाई में हाईकोर्ट पहले ये तय करे कि जांच की मांग करने वाली याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं. 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट सुनवाई की अगली तारीख पर पहले ये ही तय करे. हम इस मामले में केस की मेरिट पर नहीं जा रहे हैं. याचिका के सुनवाई योग्य होने के फैसले के आधार पर, हाईकोर्ट उसके बाद कानून के अनुसार आगे बढ़ सकता है. 

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