दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे के लिए 11 हजार पेड़ों को काटने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को वापस NGT के पास भेजा है. सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को नए सिरे से वैधता तय करने का निर्देश दिया है.

विज्ञापन
Read Time: 12 mins
दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे से दोनों शहरों की दूरी महज 2.5 घंटे में तय होने का दावा
नई दिल्ली:

दिल्ली-देहरादून इकॉनॉमिक कॉरीडोर एक्सप्रेस वे (Delhi-Dehradun Expressway) परियोजना में पेड़ों की कटाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगादी है. यह रोक 26 नवंबर तक के लिए लगाई गई है. कोर्ट ने  मामले को वापस NGT के पास भेजा है. सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल को नए सिरे से वैधता तय करने का निर्देश दिया है. परियोजना के लिए 11,000 से अधिक पेड़ों को काटे जाने पर रोक लगाई गई है. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस  सूर्य कांत और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ ने 6 अक्टूबर 2021 को पारित NGT के आदेश के खिलाफ गैर सरकारी संगठन 'सिटिजन्स फॉर दून' द्वारा दायर एक अपील में ये आदेश पारित किया है.

दिल्ली से देहरादून महज 2.5 घंटे में पहुंचाएगा एक्सप्रेसवे, न्यूनतम गति होगी...

एनजीटी ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने अपीलकर्ताओं को दिल्ली-देहरादून एक्सप्रेसवे पर पेड़ों की कटाई की अनुमति के आदेश को चुनौती देने के लिए  NGT के समक्ष अपील करने की स्वतंत्रता दी. बेंच ने अपने आदेश में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के 6 अक्टूबर के फैसले को रद्द कर दिया. ट्रिब्यूनल को मामले को नए सिरे से तय करने का निर्देश दिया है. बेंच ने 26 नवंबर तक पेड़ों की और कटाई पर भी अंतरिम रोक लगा दी है.

22,500 करोड़ रुपये में रिकॉर्ड वक्त में बना पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, जानें 10 बड़ी खासियतें

दावा किया जा रहा है कि  परियोजना से दोनों शहरों के बीच यात्रा का समय चार घंटे कम हो जाएगा. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की योजना के अनुसार नया छह-लेन राजमार्ग यात्रा के समय को 6.5 घंटे से घटाकर केवल 2.5 घंटे कर देगा. इसमें वन्यजीवों और जंगलों की सुरक्षा के लिए 12 किलोमीटर की ऐलीवेटिड सड़क होगी. सुप्रीम कोर्ट ने गणेशपुर-देहरादून रोड (एनएच-72ए) खंड में करीब 11,000 पेड़-पौधों की कटाई पर भी 26 नवंबर तक रोक लगा दी, जो दिल्ली-देहरादून आर्थिक गलियारे का हिस्सा है. 

पीठ ने एनजीटी को एनजीओ द्वारा किए गए प्रत्येक कथन पर एक तर्कपूर्ण आदेश पारित करने के लिए कहा है. साथ ही याचिका दायर करने के 24 घंटे के भीतर मामले को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है.  इसने एनजीओ को अपने सभी दावों के साथ एक सप्ताह के भीतर एनजीटी जाने की स्वतंत्रता भी दी और कहा कि मामले में उसकी टिप्पणियां योग्यता के आधार पर इस मुद्दे को तय करने के रास्ते में नहीं आएंगी.

शीर्ष अदालत ने कहा कि NGT का छह अक्टूबर का एनजीओ की याचिका खारिज करने का आदेश त्रुटिपूर्ण हैस क्योंकि उसने इस मुद्दे पर पहले के फैसलों पर विचार नहीं किया. सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि इस परियोजना को जनहित में नहीं रोका जाना चाहिए क्योंकि NHAI ने सभी जरूरी मंजूरी ले ली हैं.

उन्होंने कहा कि यह परियोजना क्षेत्र में वन्यजीवों और जंगलों का ख्याल रखती है और देश में पहली बार हाथियों और अन्य जंगली जानवरों के रास्ते को बाधित न करने के लिए जंगलों के ऊपर 12 किलोमीटर की एलिवेटेड सड़क का निर्माण किया जा रहा है. वेणुगोपाल ने कहा कि हाथी गलियारे या किसी अन्य जंगली जानवरों के रास्ते को अवरुद्ध किए बिना यह सड़क वाहनों की सुगम यात्रा की अनुमति देगी और दोनों शहरों के बीच यात्रा के समय को कम करेगी.
 

Advertisement
Featured Video Of The Day
Bihar में Extremely Backward Voting गणित: Nitish, BJP और Congress की नजरें इसी पर | Bihar Election
Topics mentioned in this article