बिहार जातीय गणना : केंद्र ने वापस लिया हलफनामा, सुधार के बाद सुप्रीम कोर्ट में दोबारा किया दाखिल

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अब पैरा पांच हटाकर दोबारा हलफनामा दाखिल किया है. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि पैरा पांच अनजाने में शामिल हो गया था.

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नई दिल्‍ली:

बिहार में जाति आधारित गणना के मामले को लेकर केंद्र सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. इस हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि केवल केंद्र ही जनगणना या जनगणना जैसी कोई भी कार्रवाई का हकदार है. हालांकि इसके कुछ ही घंटे बाद केंद्र सरकार ने अपना हलफनामा वापस ले लिया और इसे दोबारा से दाखिल किया गया. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अब पैरा पांच हटाकर दोबारा हलफनामा दाखिल किया है. केंद्र सरकार की ओर से कहा गया है कि पैरा पांच अनजाने में शामिल हो गया था. पैरा पांच में कहा गया था कि केवल केंद्र ही जनगणना या जनगणना जैसी कोई भी कार्रवाई करने का हकदार है. 

इससे पहले, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने कुछ घंटे पुराने हलफनामे में कहा था कि जनगणना अधिनियम 1948 के मुताबिक केंद्र सरकार के पास ही जनगणना कराने का अधिकार है, राज्य सरकार के पास नहीं. साथ ही केंद्र ने कहा कि अधिनियम की धारा-3 के तहत केंद्र को ही यह अधिकार कानून के तहत मिला है, जिसमें केंद्र सरकार की ओर से‌ अधिसूचना जारी करके यह घोषित किया जाता है कि देश में जनगणना कराई जा रही है और उसके आधार भी स्पष्ट किए जाते हैं. साथ ही हलफनामे में कहा गया कि संविधान में किसी अन्य प्राधिकरण या निकाय के पास जनगणना या जनगणना जैसा कोई कदम उठाने का अधिकार नहीं दिया गया है. 

सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से गृह मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल किया. 

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि एससी, एसटी और ओबीसी के कल्याण के लिए सरकार की ओर से सभी जरूरी और समुचित कदम उठाए जा रहे हैं, जो संविधान और कानून के मुताबिक हैं. 

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केंद्र ने कहा कि जनगणना एक विधायी प्रक्रिया है, जो जनगणना अधिनियम 1948 के तहत है और केंद्रीय अनुसूची के 7वें शिड्यूल में 69वें क्रम  के तहत इसके आयोजन का अधिकार केंद्र सरकार के पास है. 

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