एक और ईमानदार कोशिश हो : SKM ने किसानों से की केंद्र के बातचीत का ऑफर कबूलने की अपील

हन्‍नान मोल्‍लाह ने कहा, "एसकेएम (गैर राजनीतिक) को भी बातचीत के लिए तैयार होना चाहिए, लेकिन बातचीत स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिश को लागू करने पर होनी चाहिए."

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संयुक्‍त किसान मोर्चा ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) को बातचीत के लिए तैयार होना चाहिए. (फाइल)
नई दिल्‍ली:

संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisan Morcha) ने "दिल्ली चलो" मार्च को लेकर आंदोलन और विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों (Farmer Organizations) से कहा है कि उन्हें केंद्र सरकार (Central Government) के साथ बातचीत के जरिए गतिरोध को सुलझाना चाहिए. चालीस से अधिक किसान यूनियनों के गठबंधन संयुक्त किसान मोर्चे के नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बुधवार को हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित देश के कई शहरों में अपनी मांग को लेकर भाजपा-एनडीए सांसदों के निर्वाचन क्षेत्रों में विरोध प्रदर्शन किया. 

संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के "दिल्ली चलो" मार्च को लेकर जारी गतिरोध के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा की बातचीत की नई पेशकश का समर्थन किया है.

एनडीटीवी के साथ बातचीत में संयुक्त किसान मोर्चा के संयोजक हन्‍नान मोल्‍लाह ने कहा, "ईमानदारी से बातचीत की एक और कोशिश होनी चाहिए, संयुक्त किसान मोर्चा किसी भी तरह के हिंसक किसान आंदोलन के खिलाफ है."

शांति बनाए रखना जरूरी है : अर्जुन मुंडा  

कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने बुधवार को कहा कि सरकार चौथे दौर के बाद पांचवे दौर में एमएसपी की मांग, फसलों के विविधीकरण, पराली और एफआईआर जैसे मुद्दों पर बातचीत के लिए तैयार है. उन्‍होंने कहा, "मैं दोबारा किसान नेताओं को चर्चा के लिए आमंत्रित करता हूं. हमें शांति बनाये रखना जरूरी है."

कृषि मंत्री के इस प्रस्‍ताव पर हन्‍नान मोल्‍लाह ने कहा, "संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) को भी बातचीत के लिए तैयार होना चाहिए, लेकिन बातचीत स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिश को लागू करने पर होनी चाहिए. किसी भी समस्या या विवाद को बातचीत के जरिए ही सुलझाया जा सकता है. चौथे दौर की बातचीत के दौरान सरकार ने कांट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर जो प्रस्ताव रखा था, वह हमें बिलकुल स्वीकार नहीं है." 

2021 के समझौते को लागू करने की मांग 

SKM की मांग है कि  9 दिसंबर 2021 को हस्ताक्षरित समझौते को भारत सरकार लागू करे. इसे लेकर एसएकेएम ने कहा कि सभी फसलों के लिए MSP की कानूनी गारंटी सहित सी2+50% के हिसाब से MSP को लागू किया जाए. यह तर्क निराधार है कि 23 फसलों पर MSP सुनिश्चित करने पर सरकार को 11 लाख करोड़ रुपये जुटाने पड़ेंगे. कानूनी रूप से गारंटीकृत खरीद का मतलब यह नहीं है कि सरकार को खुद खरीद और भुगतान करना होगा. साथ ही उनका कहना है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉर्पोरेट ताकतें अपने मुनाफे का एक हिस्सा लाभकारी मूल्य के रूप में किसानों से साझा करें. MSP ना मिलने का मतलब मानवीय आपदा है - जैसे तीव्र गरीबी, ऋणग्रस्तता, बेरोजगारी और महंगाई. 

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