Population Control Act: जनसंख्या नियंत्रण के लिए क़ानून बनाने की मांग को लेकर धर्मगुरु देवकी नंदन ठाकुर की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मुख्य मामले के साथ जोड़ा है. अपनी याचिका में ठाकुर ने कहा है कि लोगों को साफ हवा, पानी, खाना, स्वास्थ्य और रोजगार हासिल करने का अधिकार सुनिश्चित करने के लिए ऐसा क़ानून वर्तमान परिस्थितियों की आवश्यकता है. देवकी नंदन ठाकुर की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कोई ठोस और कारगर क़ानून न होने की सूरत में कोर्ट विधि आयोग को निर्देश दे कि दूसरे विकसित देशों में जनसंख्या नियंत्रण की नीतियों को देखने के बाद भारत के लिए भी वो उचित कानून बनाने की दिशा में अपने सुझाव और सिफारिश दें.
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इससे पहले 2020 सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी किया था. भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने जनहित याचिका दाखिल कर कहा था कि आबादी का विस्फोट बम से भी ज्यादा घातक है. इस बम के विस्फोट की वजह से शिक्षित, समृद्ध, स्वस्थ और सुगठित मजबूत भारत बनाने की कोशिश कभी कामयाब नहीं हो सकेगी. अश्विनी उपाध्याय ने याचिका दायर मांग की है कि केंद्र सरकार आबादी नियंत्रण के उपायों को देश में लागू करे. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार को सरकारी नौकरी, सब्सिडी और सहायता पाने के लिए दो बच्चों की नीति को लागू करना चाहिए. उपाध्याय ने कहा था कि अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 11 सदस्यीय संविधान समीक्षा आयोग (वेंकटचलैया आयोग) ने 2 वर्ष की मेहनत के बाद संविधान में आर्टिकल 47A जोड़ने और जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने का सुझाव दिया था. जिसे आजतक लागू नहीं किया गया है.
बीजेपी नेता ने कहा था कि अब तक 125 बार संविधान संशोधन हो चुका है, कई बार सुप्रीम कोर्ट का फैसला भी बदला जा चुका है. कई नए कानून बनाये गए लेकिन देश के लिए सबसे ज्यादा जरूरी जनसंख्या नियंत्रण कानून नहीं बनाया गया. अश्विनी उपाध्याय ने कहा कि “हम दो-हमारे दो” कानून से देश की 50% समस्याओं का समाधान हो जाएगा.
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