Parliament Session Update: नहीं टूट पा रहा गतिरोध, हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बुधवार तक स्‍थगित

पेगासस जासूसी और कृषि कानूनों के मुद्दे पर दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार प्रभावित हो रही है और सरकार-विपक्ष के बीच गतिरोध दूर नहीं हो पा रहा है.

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पेगासस जासूसी मामला: हंगामे के कारण संसद की कार्यवाही लगातार बाधित हो रही (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:

Parliament Monsoon Session Update: संसद का मॉनसून सत्र (Parliament Monsoon Session) विपक्षी सांसदों के हंगामे के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है. पेगासस जासूसी और कृषि कानूनों के मुद्दे पर दोनों सदनों की कार्यवाही लगातार प्रभावित हो रही है और सरकार-विपक्ष के बीच गतिरोध दूर नहीं हो पा रहा है. बार-बार के व्‍यवधान के बीच कार्यवाही अगले दिन के लिए स्‍थगित होना माना रोज की बात हो गई है. मंगलवार को भी विपक्ष के हंगामे के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही बुधवार सुबह तक स्‍थगित करनी पड़ी. राज्‍यसभा की कार्यवाही पहले 12 बजे, फिर दोपहर 2 बजे और फिर बुधवार सुबह 11 बजे तक तक स्‍थगित करनी पड़ी. दो बार के स्थगन के बाद राज्‍यसभा की बैठक शुरू होने पर सदन में विपक्ष का हंगामा जारी था. सदन में नारेबाजी के बीच ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता संशोधन 2021 विधेयक चर्चा के लिए रखा, सदन ने संक्षिप्त चर्चा के बाद इसे पारित कर दिया. उधर लोकसभा की कार्यवाही भी हंगामे के चलते बुधवार तक स्‍थगित करनी पड़ी.विपक्ष के हंगामे के बीच एसेंशियल डिफेंस सर्विसेज बिल 2021 लोकसभा में पास कर दिया गया.संसद सत्र 19 जुलाई से प्रारंभ हुआ है लेकिन ज्‍यादा समय विपक्षी सांसदों के हंगामे और विरोध की ही भेंट चढ़ा है. संसद में जारी गतिरोध के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आज सुबह  विपक्ष के नेताओं को नाश्ते पर बुलाया. बैठक में पेगासस जासूसी कांड पर साझा रणनीति बनाई गई. इस बैठक में कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना, राष्‍ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, माकपा, भाकपा, आईयूएमएल, आरएसपी, केसीएम, जेएमएम, नेशनल कांफ्रेंस, तृणमूल कांग्रेस और एलजेडी ने हिस्‍सा लिया.

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ब्रेकफास्‍ट मीटिंग, साइकिल प्रोटेस्‍ट : संसद गतिरोध को लेकर‍ विपक्ष का आक्रामक अंदाज

संसद के मानसून सत्र का यह तीसरा सप्ताह है और विपक्षी सदस्यों के हंगामे की वजह से उच्च सदन में अब तक एक बार भी शून्यकाल नहीं हो पाया है.बैठक शुरू होने पर सभापति एम वेंकैया नायडू ने आवश्यक दस्तावेज सदन के पटल पर रखवाए. फिर उन्होंने सदन को सूचित किया कि उन्हें समाजवादी पार्टी के रामगोपाल यादव और विश्वंभर निषाद, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे, शक्ति सिंह गोहिल, के सी वेणुगोपाल, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय, भाकपा के विनय विस्वम तथा माकपा के इलामारम करीम ने अपने-अपने मुद्दों पर चर्चा के वास्ते नियम 267 के तहत पूर्व निर्धारित कामकाज स्थगित करने के लिए नोटिस दिए हैं. सभापति ने बताया कि उन्होंने ये नोटिस स्वीकार नहीं किए हैं. सभापति के इतना कहते ही विपक्षी सदस्य आसन के समक्ष आ कर अपने-अपने मुद्दों पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा करने लगे.

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तृणमूल कांग्रेस ने कहा- बाबुल सुप्रियो 'नाटक' कर रहे थे, बीजेपी ने साधी चुप्पी

अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने व्यवस्था का प्रश्न उठाते हुए कहा कि विपक्ष के एक सदस्य ने सदन में विधेयक पारित करने के तरीके को लेकर एक टिप्पणी की है जो उन्हें नहीं करना चाहिए था. उन्होंने कहा ‘‘ऐसी टिप्पणी सदन की गरिमा पर आघात है. हमारी मांग है कि वह सदस्य सदन से माफी मांगें.' संसदीय मामलों के मंत्री प्रल्हाद जोशी ने कहा कि हर दिन सदन की कार्यवाही बाधित करना ठीक नहीं है. उन्होंने कहा,'सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार है लेकिन विधेयक पारित करने को लेकर तृणमूल कांग्रेस के एक सदस्य ने जो कहा है वह सदन का, इस देश के लोगों का अपमान है. उन्हें देश से और सदन से माफी मांगना चाहिए.'सभापति ने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने की अपील करते हुए कहा ‘‘आसन चर्चा की अनुमति देना चाहता है लेकिन इस तरह के माहौल में चर्चा कैसे होगी. ज्यादातर सदस्य चाहते हैं कि सदन में कामकाज हो. ''उन्होंने कहा ‘‘लोग देख रहे हैं कि हर दिन किस तरह व्यवधान डाला जाता है. आपको यहां हंगामा करने के लिए नहीं भेजा गया है. आप अपना खुद का नुकसान कर रहे हैं.''इसी दौरान कांग्रेस के एक सदस्य के आचरण पर नाराजगी जाहिर करते हुए सभापति ने कहा ‘‘... यह ठीक नहीं है. आसन पर कोई बात थोपी नहीं जा सकती.''सदन में व्यवस्था बनते न देख सभापति ने 11 बज कर आठ मिनट पर बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी.

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संसद में लगातार हंगामे के चलते यह आशंका गहराने लगी है कि कहीं पूरा सत्र ही हंगामे की भेंट न चढ़ रहा. संसद में जारी गतिरोध के बीच ऑर्डिनेन्स फैक्ट्री बोर्ड के 74 हजार कर्मचारियों के विरोध के बावजूद Essential Defence Services Bill लोकसभा में पास हो गया. इसके तहत 41 ऑर्डिनेन्स फैक्ट्री बोर्ड को 7 निगम में बांटा जाएगा. कर्मचारी विरोध न कर सकें, इसके लिये आवश्यक रक्षा सेवा अध्यादेश लागू कर दिया है. इस अध्यादेश के दायरे में रक्षा उत्पादन से जुड़े संस्थान रखे गए हैं. अध्यादेश के मुताबिक़, अगर ऐसे संस्थानों में हड़ताल की कोशिश होती है तो वो ग़ैरकानूनी होगी. ऐसा करने वाले व्यक्ति को एक साल की सज़ा और दस हज़ार रुपए तक का जुर्माना हो सकता है यही नहीं, अगर कोई व्यक्ति किसी और को हड़ताल के लिए उकसाता है तो उसे दो साल की सज़ा और पंद्रह हज़ार रुपए का जुर्माना भरना पड़ सकता है.

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