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- मॉनसून सत्र के दस दिनों में केवल दो दिनों में प्रश्नकाल निर्बाध चला, अन्य दिनों में संसद हंगामे की भेंट चढ़ी.
- संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के हंगामे को लेकर सदन में चर्चा की और सरकार की स्थिति स्पष्ट की.
- किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी के बयानों की आलोचना करते हुए देश की छवि बचाने पर जोर दिया.
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हमें बताएं।हर देशवासी सोचता है कि संसद उसकी समस्याओं को दूर करेगा. सांसद उन समस्याओं पर मंथन कर हल निकालेंगे, मगर क्या हो जब संसद हंगामे की भेंट चढ़ जाए. यही कारण है कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू को शुक्रवार को सामने आना पड़ा और सरकार की स्थिति साफ करनी पड़ी. अभी मॉनसून सत्र चल रहा है. मॉनसून सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को हुई थी और शुक्रवार को सदन की कार्यवाही का 10वां दिन है. मगर, सदन में इस दौरान केवल दो दिन, मंगलवार और बुधवार को प्रश्नकाल ही निर्बाध तरीके से पूरा चला. सदन में ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा और मणिपुर में राष्ट्रपति शासन बढ़ाने संबंधी संकल्प को मंजूरी के अलावा अन्य कोई महत्वपूर्ण विधायी कामकाज नहीं हो सका. ऐसे में संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने संसद में हो रहे हंगामे और विपक्ष की हर बात पर विस्तार से बात की.
संसद में हंगामे पर किरेन रिजिजू
- पहले दिन से विपक्ष हंगामा कर रहा है.
- विपक्ष की ही मांग पर सरकार ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा लेकर आई.
- तय समय से भी अधिक समय तक चर्चा हुई.
- कई नोटिस आए हैं. किसी भी विषय पर चर्चा कर सकते हैं.
- विषय पर चर्चा न कर एक मुद्दे को लेकर सीधे वेल में आ जाते हैं.
- सदन नहीं चलने दे रहे.
- आरोप लगाते हैं कि बोलने नहीं देते.
- विपक्ष खुद सदन चलने नहीं देता और कहता है कि बोलने नहीं देते.
- नियम के तहत बोलने की आज़ादी सभी को है.
राहुल गांधी के बयानों पर किरेन रिजिजू
- राहुल गांधी देश के खिलाफ बयान दे रहे हैं.
- विपक्ष के भी कई सदस्यों ने कहा कि यह ठीक नहीं है.
- भारत की अर्थव्यवस्था और छवि को ऐसे ठेस नहीं पहुंचा सकते.
- राहुल को समझना चाहिए कि वो छोटे बच्चे नहीं हैं.
- देश का मान सम्मान और छवि क़ायम रहे, यह सबकी ज़िम्मेदारी है.
- इतनी समझ नेता विपक्ष में होनी चाहिए.
विपक्ष को किरेन रिजिजू की नसीहत
- संसद नहीं चलने से सबसे ज़्यादा नुक़सान विपक्ष का ही हो रहा है.
- संसद को बाधित करने के लिए देश से माफ़ी मांगनी चाहिए.
- जो रूल में नहीं है, उस पर चर्चा नहीं हो सकती.
- दो सप्ताह का समय नष्ट किया है.
- भारत की जनता इसका हिसाब किताब विपक्ष से मांगेगी.
खरगे के CISF आरोप पर किरेन रिजिजू
- संसद की सुरक्षा के लिए CISF है.
- सांसदों की ही मांग थी कि सुरक्षा अच्छी होनी चाहिए.
- यह सरकार नहीं देखती. चेयर तय करती है.
- कुछ सांसद टेबल पर चढ़कर नाचते हैं.
- प्रापर्टी को नुक़सान न हो, इसके लिए प्रबंध किया है.
- इसका मतलब यह नहीं कि सांसदों को बोलने से रोका जा रहा है.
- हम चेयर से बात करेंगे. सांसद को फिजिकली नहीं पकड़ेंगे. उनका भी प्रिविलेज है.
राहुल के वोटों की चोरी वाले बयान पर
- राहुल ने कई बार संवैधानिक संस्थाओं को धमकी दी है.
- कई राज्यों में कांग्रेस और उसके सहयोगी भी जीते. वो कैसे जीते?
- यह लोकतंत्र को कमजोर करने का षड्यंत्र है .
- यह भारत के लोकतंत्र पर हमला है.
क्या बिहार SIR पर चर्चा हो सकती है?
- जिस एक्जीक्यूटिव काम के लिए मंत्री ज़िम्मेदार नहीं है, उसका जवाब कौन देगा?
- यह तो रूल में लिखा है कि कोई मंत्री, जिससे विषय संबंधित नहीं है, उसका जवाब नहीं दे सकते.
- हम निर्णय नहीं कर सकते कि चर्चा होगी या नहीं, यह तो चेयर तय करेगी.
- तत्कालीन स्पीकर बलराम जाखड़ ने रूलिंग दी थी कि चुनाव आयोग के काम पर चर्चा नहीं हो सकती.
- चुनाव सुधार पर चर्चा हो सकती है, लेकिन आयोग के फ़ंक्शन पर चर्चा नहीं कर सकते.
- बलराम जाखड़ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे. 1986 में यह रूलिंग आई थी. वासुदेव आचार्य यह प्रस्ताव लाए थे.
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