SC ने मुजफ्फरनगर स्कूल में छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में UP सरकार को फटकारा, रवैये को बताया "चौंकाने वाला"

सुप्रीम कोर्ट की बेंच तुषार गांधी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यूपी के मुजफ्फरनगर में एक मुस्लिम बच्चे को उसके शिक्षक के निर्देश पर उसके क्लासमेट ने सजा के तौर पर थप्पड़ मारे. याचिकाकर्ता ने इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की थी.

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  • तुषार गांधी की ओर से दायर याचिका पर SC ने की सुनवाई
  • SC ने ज्य सरकार को छात्र की शिक्षा का खर्च वहन करने को कहा
  • शिक्षा विभाग के सचिव को 11 दिसंबर को पेश होने का दिया आदेश
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नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर (Muzaffarnagar Case) के एक स्कूल में बीते दिनों हुए थप्पड़ कांड पर शुक्रवार (10 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरनगर छात्र को थप्पड़ मारने के मामले में यूपी सरकार के दृष्टिकोण को "चौंकाने वाला" बताया. कोर्ट (Supreme Court) ने पीड़ित छात्र की काउंसलिंग और प्रवेश के संबंध में पारित आदेशों का पालन न करने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य (UP Government) और उसके शिक्षा विभाग ( UP Education Department) को फटकार लगाई है. कोर्ट ने बच्चे और अन्य छात्रों को उचित परामर्श नहीं दिए जाने पर कड़ा असंतोष व्यक्त किया. अदालत ने काउंसलिंग में मदद के लिए टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) को नियुक्त किया है. कोर्ट ने शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव को 11 दिसंबर 2023 को होने वाली अगली सुनवाई के लिए वर्चुअली मौजूद रहने का निर्देश भी दिया.

सुप्रीम कोर्ट की बेंच तुषार गांधी की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें यूपी के मुजफ्फरनगर में एक मुस्लिम बच्चे को उसके शिक्षक के निर्देश पर उसके क्लासमेट ने सजा के तौर पर थप्पड़ मारे. याचिकाकर्ता ने इस घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की थी. 

अदालत ने कहा, "हमने पाया है कि यूपी राज्य और विशेष रूप से शिक्षा विभाग ने 25 सितंबर से समय-समय पर अदालत द्वारा पारित विभिन्न आदेशों का पालन नहीं किया है. पीड़ित बच्चे और इसमें शामिल अन्य बच्चों के लिए कोई उचित परामर्श नहीं दिया गया है. कम से कम कहने के लिए, राज्य का दृष्टिकोण, जैसा कि हलफनामे में देखा जा सकता है, चौंकाने वाला है."

सुनवाई की पिछली तारीख पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ऐसी घटनाओं से राज्य की अंतरात्मा हिल जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्य सरकार प्रथम दृष्टया आरटीई अधिनियम का पालन करने में नाकाम रही है. आज बेंच ने कहा कि यूपी सरकार बिल्कुल भी अनुपालन नहीं कर रही है. राज्य इस मुद्दे से अनौपचारिक तरीके से निपट रहा है.

शीर्ष अदालत ने कहा, "हमें काउंसलिंग के लिए एक एजेंसी ढूंढनी होगी, जो हमें एक भी विवरण दिखाए कि स्कूल छात्र को प्रवेश देने के लिए सहमत हो गया है. जब तक हम आदेश पारित नहीं करते, वे कुछ नहीं करेंगे. आपको स्टैंड लेना होगा कि आप कुछ करेंगे या केवल चेहरा बचाना चाहते हैं. अगर आपके राज्य में छात्रों के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाता है, तो अब तीन महीने बाद विशेषज्ञ परामर्श का क्या फायदा?"

कोर्ट ने कहा, "किसी भी बच्चे की काउंसलिंग नहीं की गई है. हम कह सकते हैं कि TISS मुंबई काउंसलिंग का तरीका सुझाएगा. हम शिक्षा सचिव से 11 दिसंबर को अगली सुनवाई में मौजूद रहने को कहेंगे." अदालत ने कहा कि छात्र की शिक्षा का व्यय संबंधित योजना के तहत राज्य द्वारा वहन किया जाएगा.

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