सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अक्टूबर 2021 में किसानों की हत्या से जुड़े लखीमपुर खीरी मामले (Lakhimpur Kheri Violence) में केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा (Ajay Mishra) के बेटे आशीष मिश्रा (Ashish Mishra) की याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई स्थगित कर दी. जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने कुछ समय तक याचिकाकर्ता की सुनवाई के बाद यह विचार व्यक्त किया कि इस मामले की सुनवाई उस बेंच को करनी है, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत सदस्य हैं. क्योंकि वह उस बेंच का हिस्सा थे, जिसने पहले मिश्रा की जमानत पर विचार किया था.
पीठ ने आदेश दिया, "न्यायिक औचित्य की मांग है कि मामले को सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों में से एक के साथ पीठ के समक्ष रखा जाए। हम रजिस्ट्री को निर्देश देते हैं कि सीजेआई से निर्देश लेने पर मामले को उचित पीठ के समक्ष रखा जाए."
मिश्रा की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार ने कहा कि मिश्रा 11 महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं. उन्होंने कहा कि जनवरी 2022 में मामले में चार्जशीट दायर की गई है. कुमार ने तर्क दिया कि आशीष मिश्रा अपराध की जगह पर नहीं था और सीसीटीवी रिकॉर्ड हैं, जो दिखाते हैं कि वह 4 किमी की दूरी पर कहीं और था जहां एक कुश्ती मैच हो रहा था. उन्होंने आगे तर्क दिया कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों ने वाहनों के काफिले पर हमला किया. मौत तब हुई जब चालक के नियंत्रण खो देने के बाद वाहन प्रदर्शनकारियों पर चढ़ गया.
सीनियर एडवोकेट रंजीत कुमार ने कहा, "यह हमारा मामला है जब किसानों ने वाहन को देखा और लोगों को कार से बाहर खींच लिया और चालक को मार डाला और नियंत्रण खो दिया और लोगों को कुचल दिया गया. पोस्टमॉर्टम में फायरिंग के मामले में किसी को गोली मारते नहीं दिखाया गया है."
हालांकि कुछ देर तक मामले की सुनवाई के बाद पीठ ने यह राय व्यक्त की कि मामले की सुनवाई उस पीठ को करनी चाहिए जिसमें जस्टिस सूर्यकांत सदस्य हैं. कुमार ने जवाब दिया कि वर्तमान मामले में नोटिस जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने जारी किया था.
10 फरवरी को आशीष मिश्रा को मिली थी जमानत
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 10 फरवरी को मिश्रा को जमानत दे दी थी, लेकिन अप्रैल 2022 में तत्कालीन सीजेआई एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हेमा कोहली की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद जमानत अर्जी हाईकोर्ट में भेज दी गई. सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश अपराध में मारे गए किसानों के परिजनों की अपील पर आया है.
क्या है पूरा मामला?
पिछले साल 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थानाक्षेत्र में हिंसा के दौरान 8 लोगों की मौत हो गई थी. यह घटना तब हुई जब केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलित किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे. उत्तर प्रदेश पुलिस की प्राथमिकी के अनुसार 4 किसानों को एक एसयूवी ने कुचल दिया, जिसमें आशीष मिश्रा बैठे थे. घटना के बाद गुस्साए किसानों ने चालक और दो भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी. इस हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई थी.
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