"अगर हम मर गए ...": तालिबान के हाथों मारे गए विरोधी गुट के नेता ने NDTV से कही थे ये बड़ी बात

तालिबान विरोधी गुट (National Resistance Front of Afghanistan) के मुख्य प्रवक्ता फहीम दश्ती ने एनडीटीवी से बातचीत की थी. दश्ती ने कहा था, अगर हम मर गए तो इतिहास हमारे जैसे उन लोगों के बारे में लिखेगा, जो आखिरी दम तक अपने देश के लिए खड़े रहे.

Advertisement
Read Time: 20 mins
Fahim Dashty की रविवार को पंजशीर प्रांत में गोलीबारी के दौरान मौत हो गई
नई दिल्ली:

अफगानिस्तान के पंजशीर प्रांत में तालिबान (Taliban) विरोधी गुट यानी रजिस्टेंस फोर्स  के प्रवक्ता की रविवार को भीषण गोलीबारी के दौरान मौत हो गई. एक दिन पहले ही तालिबान विरोधी इस गुट (National Resistance Front of Afghanistan) के मुख्य प्रवक्ता फहीम दश्ती ने NDTV से बातचीत की थी. दश्ती ने कहा था, अगर हम मर गए तो इतिहास हमारे जैसे उन लोगों के बारे में लिखेगा, जो आखिरी दम तक अपने देश के लिए खड़े रहे. फोर्स के मुताबिक, दश्ती की रविवार को फायरिंग के दौरान मौत हो गई.

पूर्व अफगान उप राष्ट्रपति की UN से गुहार, पंजशीर घाटी में रोकें तालिबान का घातक हमला 

दश्ती ने तालिबान के साथ सरकार में शामिल होने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. उन्होंने कहा था कि तालिबान के साथ सत्ता में शामिल होने की बजाय उनकी फौज युद्धग्रस्त देश के अच्छे भविष्य के लिए मरना पसंद करेगी. दश्ती ने पिछले हफ्ते एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा था, "अगर हम अफगानिस्तान के लोगों के भविष्य को बेहतर बनाने के अपने मकसद में कामयाब रहे, ऐसा मुल्क, ऐसा सिस्टम जहां अफगान नागरिकों के प्रति जिम्मेदार लोगों की सरकार हो, तो हम अपनी जिम्मेदारियों पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे."  

उन्होंने यह भी कहा था, अगर हम मुकाबला करते वक्त मारे गए तो भी यह हमारे लिए जीत होगी, क्योंकि इतिहास हमें ऐसे लोगों के तौर पर याद रखेगा, जो आखिरी वक्त तक देश के लिए लड़ते रहे. दश्ती उस आत्मघाती हमले में बाल-बाल बच गए थे, जिसमें 2001 में नार्दर्न अलायंस के नेता अहमद शाह मसूद को निशाना बनाया गया था. यह हमला अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 को हुए हमले के ठीक दो दिन पहले हुआ था.दश्ती पंजशीर में तालिबान और विरोधी गुट के बीच जारी खूनी जंग की लगातार नई जानकारी देने वाले अहम स्रोतों में से एक थे. वो ट्विटर पर लगातार तालिबान के हुक्म की नाफरमानी वाले ट्वीट कर रहे थे.

Advertisement

वहीं अफगान विरोधी गुटों ने धार्मिक विद्वानों द्वारा सुलह समझौते के लिए वार्ता के प्रस्ताव का स्वागत किया है. रजिस्टेंस फोर्स के नेता अहमद मसूद (Ahmad Massoud) ने समूह (NRFA) के फेसबुक पेज ( Facebook page) पर यह ऐलान किया है. यह पेशकश ऐसे वक्त की गई है, जब ऐसी खबरें हैं कि पंजशीर के समीपवर्ती जिलों पर कब्जे के बाद तालिबान लड़ाके प्रांत की राजधानी के बेहद करीब तक पहुंच गए हैं. तालिबान ने पंजशीर प्रांत को छोड़कर काबुल समेत अन्य इलाकों में 15 अगस्त 2001 तक कब्जा जमा लिया था. अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर भाग गए थे. 

Advertisement

- - ये भी पढ़ें - -
* तालिबान ने गर्भवती महिला पुलिसकर्मी को परिवार के सामने ही गोलियों से भून डाला
* पूर्व अफगान उप राष्ट्रपति की UN से गुहार, पंजशीर घाटी में रोकें तालिबान का घातक हमला
* तालिबान युग में पहली अफगान क्रिकेट टीम बांग्लादेश पहुंची
* काबुल विरोध के दौरान तालिबान ने अफगान महिला कार्यकर्ता की पिटाई की: रिपोर्ट

Advertisement
Featured Video Of The Day
Hathras Stampede: हाथरस में हाहाकार, क्या हुआ, कैसे हुआ ? ग्राउंड ज़ीरो से NDTV की Report